नई दिल्लीः वायु प्रदूषण के बीच रह रहे लोगों में डिप्रेशन और आत्महत्या की दर बहुत अधिक है, हाल ही में आए आंकड़ों में इस बात का खुलासा हुआ है. शोध के मुताबिक, विषाक्त हवा के संपर्क में आने से डिप्रेशन के मामले बढ़ रहे हैं. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के इसोबेल ब्रेथवेट ने कहा, "हमने पाया है कि वायु प्रदूषण हमारे मानसिक स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचा सकता है."
उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करके आप लगभग 15% डिप्रेशन को रोक सकते हैं. डिप्रेशन एक बहुत ही सामान्य बीमारी है और लगातार बढ़ती जा रही है. WHO के अनुसार, 264 मिलियन से अधिक लोग डिप्रेशन का शिकार हैं.
ब्रेथवेट ने कहा, "हम जानते हैं कि खराब हवा में मौजूद कण रक्तप्रवाह और नाक दोनों के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं और मस्तिष्क में सूजन, तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान और तनाव हार्मोन उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, जो खराब मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है.
जर्नल एनवायरनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स में प्रकाशित शोध में 2017 तक प्रकाशित 16 देशों के शोध आंकड़ों का चयन किया गया था. इससे विषाक्त हवा और डिप्रेशन और आत्महत्या के बीच एक मजबूत सांख्यिकीय संबंध का पता चला. इस शोध ने दावा किया कि मानसिक विकारों वाले लोगों में अत्यधिक उच्च मृत्यु दर और किशोरों में डिप्रेशन होने का प्रमुख कारण वायु प्रदूषण भी है.
2019 में एक व्यापक वैश्विक समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला था कि वायु प्रदूषण मानव शरीर में हर अंग और प्रत्येक कोशिका को नुकसान पहुंचा सकता है.
ब्रेथवेट ने कहा, "हम सभी को वायु प्रदूषण में अपने योगदान को कम करने की आवश्यकता है, चाहे वह पैदल चलना हो या साइकिल चलाना हो." शोधकर्ताओं ने कहा कि पैदल चलना, साइकिल चलाना और अधिक हरे रंग के स्थान न केवल वायु प्रदूषण में कटौती करते हैं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार करते हैं.
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