नई दिल्ली: डिप्रेशन के दौरान शराब और दूसरे मादक पदार्थों का सेवन करने से समस्या से निजात नहीं मिलती, बल्कि वह और बदतर होती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स ने यह नई जानकारी दी है. डिप्रेशन से ग्रस्त लोग अपनी बीमारी के लक्षणों से निजात पाने के लिए मादक पदार्थों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन डिप्रेशन के लिए मादक पदार्थ एक तरीके से ईंधन का काम करता है और यह रोगी की हालत को और खराब कर देता है.


जेपी हॉस्पिटल नोएडा में विहेवियरल मेडिसिन डिपार्टमेंट में वरिष्ठ परामर्शदाता मृण्मय कुमार दास ने कहा, "मादक पदार्थ डिप्रेशन को और बदतर बनाते हैं और उनपर निर्भरता बढ़ने की नौबत आ जाती है. ऐसी स्थिति में डिप्रेशन से पीड़ित लोगों में यह आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाने की प्रवृत्ति में इजाफा कर सकता है. ऐसे लोगों पर स्तरीय इलाज का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और उनके स्वस्थ होने में काफी वक्त लग जाता है."


डिप्रेशन से पीड़ित का मादक पदार्थों का सेवन डॉक्टरों को समस्या की जड़ तक पहुंचने में दिक्कत पैदा करता है. नई दिल्ली स्थित सरोज सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में मेंटल हेल्थ एंड विहेवियरल साइंसेज विभाग में परामर्शदाता संदीप गोविल ने कहा, "हमारे शरीर में स्वाभाविक तौर पर पाया जाने वाला न्यूरोट्रांसमीटर (डोपामिन) होता है, जो पूरे मस्तिष्क और शरीर में रिसेप्टरों से जुड़ा होता है और दर्द पर नियंत्रण करने, हॉर्मोन का स्रवन करने और व्यक्ति को अच्छा महसूस कराने में अपनी भूमिका निभाता है."


गोविल ने कहा, "जब मादक पदार्थों का लंबे वक्त तक इस्तेमाल किया जाता है और मस्तिष्क ज्यादा से ज्यादा मात्रा में डोपामिन का स्रवन करता है, तो डिप्रेशन की समस्या और गंभीर हो जाती है और पीड़ित अजीबोगरीब व्यवहार करने लग जाता है." विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा हाल में प्रकाशित 'डिप्रेशन एंड अदर कॉमन मेंटल डिसॉर्डर' नामक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में 32.2 करोड़ लोग डिप्रेशन से ग्रस्त हैं.


रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल आबादी का लगभग 4.5 फीसदी लोग डिप्रेशन से ग्रस्त हैं. साधारण तौर पर डिप्रेशन के मूल लक्षणों में एक खुद को अच्छा महसूस न करना है. डिप्रेशन से ग्रस्त लोग अपने पसंदीदा काम में दिलचस्पी नहीं लेते हैं, थका-थका महसूस करते हैं और ज्यादा से ज्यादा सोते हैं.


डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों का हाजमा भी अक्सर खराब रहता है, जिसके कारण वजन में कमी आती है. साथ ही उनके मन में हीन भावना, निराशा और खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और खुदकुशी जैसा आत्मघाती कदम उठा लेते हैं. वैसे लोग जो डिप्रेशन से ग्रस्त हैं और मादक पदार्थों का सेवन कर रहे होते हैं, ऐसे में अचानक मादक पदार्थों का सेवन बंद करने से भी समस्या बढ़ जाती है.


ऐसी स्थिति में इलाज के साथ ही सीमित मात्रा में मादक पदार्थ लेते रहने की जरूरत पड़ती है. डिप्रेशन और अन्य मानसिक समस्याओं पर खुलकर बात करने से समस्या की पहचान करने और उनका इलाज करने में मदद मिलती है.


द जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ इंडिया के उप निदेशक और शोध प्रमुख पल्लब मौलिक ने कहा, "लोगों को डॉक्टर से अपनी समस्याओं पर खुलकर बात करनी चाहिए. शुरुआती दौर में इलाज आसान है और दवा की जरूरत नहीं होती और साधारण काउंसेलिंग से इसका इलाज संभव है."


शोध में यह बात सामने आई है कि भारत जैसे देश में मानसिक रोगों से पीड़ित 27 में से एक व्यक्ति इलाज के लिए डॉक्टर के पास पहुंचता है. नई दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के कंसल्टैंट साइकेट्रिस्ट प्रशांत गोयल ने कहा, "शरीर की दूसरी बीमारियों की अपेक्षा डिप्रेशन में चिकित्सकीय इलाज के अलावा, परिवार के समर्थन की बेहद अहमियत होती है."