कोरोना वायरस के बीच असम में नई आफत, जानिए क्या है पशुओं में होनेवाला संक्रामक LSD
कोरोना वायरस के बीच असम में एक नई संक्रामक बीमारी के मामले दर्ज किए गए हैं.पशुओं में होनेवाली लम्पी स्किन डिजीज के बाद नगालैंड ने हाई अलर्ट जारी किया है.
कोरोना वायरस के बीच और अफ्रीकन स्वाइन फीवर के बाद असम में एक नई आफत ने दस्तक दे दी है. यहां पशुओं में संक्रामक वायरल बीमारी लम्पी स्किन डिजीज (LSD) के मामले उजागर हुए हैं. शुक्रवार को अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी. जिसके बाद नगालैंड सरकार ने हाई अलर्ट जारी किया है. उसने सभी जिलों के मुख्य पशुपालन अधिकारियों से बीमारी की मॉनिटरिंग करने का निर्देश दिया है.
असम में नई बीमारी ने दी दस्तक
पशु पालन विभाग के एक अधिकारी ने बताया पहला संक्रमण का मामला जून में दर्ज किया गया था. वर्तमान में असम के चार जिले कछार, करीमगंज, बराक घाटी का हैलाकंदी और ब्रह्मपुत्र घाटी का कामरूप जिला संक्रमित बीमारी से प्रभावित है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक LSD एक नई संक्रामक बीमारी है जो वायरस जनित है. गुवाहटी के पशु स्वास्थ्य सेंटर के डिप्टी डायरेक्टर (इन्चार्ज) प्रोदीप गोगोई ने कहा, "हालांकि संक्रमित मवेशी अक्सर दो से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं मगर कई हफ्तों तक पशुओं में दूध की कमी रहती है." उन्होंने असम के पशु पालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग से संदिग्ध संक्रमित मवेशियों की निगरानी रखने की अपील की है. जिससे संदिग्ध इलाकों में होनेवाली मौत और बीमारी का डेटा का परीक्षण किया जा सके.
पशुओं में संक्रामक रोग की पुष्टि
कोहिमा के पशु पालन विभाग ने बयान में कहा, "सभी जिलों के अधिकारियों को रेड अलर्ट जारी करने का आदेश दे दिया गया है. जिससे संदिग्ध जानवरों के आवागमन और बीमारी पर काबू पाने के लिए रोकथाम के लिए पहल कर की जा सके. LSD बीमारी ऑर्थ्रोपोड वेक्टर्स जैसे मच्छर, चिचड़ी से फैलती है. यह रोग वायरसेज के पॉक्सविरिडी परिवार (Poxviridae) से संबंधित होता है. इसके लक्षणों में बुखार, त्वचा पर गांठ, बढ़ी हुई लसीका ग्रंथि (लिम्फ नोड्स) पूरे शरीर में होती हैं. बीमारी के चलते त्वचा में गांठ बन जाती हैं. गांठ बाद में फूटकर घाव बन जाते हैं. मवेशी कमजोर होकर चलने फिरने में असमर्थ हो जाता है. दूध का उत्पादन कम हो जाता है. हालांकि ये संक्रामक बीमारी मवेशियों से इंसानों में नहीं फैलती है. नाक से पानी बहना और जोर-जोर से सांस लेना बीमारी के अन्य प्रमुख लक्षण हैं. हालांकि इसके चलते मवेशियों की मौत का खतरा एक फीसद से तीन फीसद तक रहता है.
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