Health Tips: एनेस्थीसिया के बारे में आपने सुना ही होगा. मरीज की सर्जरी से पहले शरीर के पर्टिकुलर हिस्से को सुन्न करने के लिए जो दवाएं या इंजेक्शन दिए जाते हैं, इसे एनेस्थीसिया कहते हैं. इसका मुख्य काम सर्जरी के दौरान होने वाले दर्द का एहसास खत्म करना है. सर्जिकल इलाज और खासकर सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान एनेस्थीसिया की काफी जटिल भूमिका होती है. लेकिन जैसे वक्त के साथ हर मेडिकल फेसिलिटी में बदलाव आया है, एनेस्थीसिया का पारंपरिक रूप भी अब आसान हो गया है यानी ये प्रोसेस अब काफी आरामदायक और जोखिम से परे हो चुकी है.
1840 से लेकर अब तक कितना बदला एनेस्थीसिया
आपको बता दें कि 1840 में सबसे पहले अमेरिका के एक डेंटिस्ट विलियम टीजी मोर्टन ने एनेस्थीसिया का पहली बार प्रयोग किया था, तबसे लेकर अब तक एनेस्थीसिया का स्वरूप बिलकुल बदल चुका है. पहले ऑपरेशन थिएटर एनेस्थीसिया के रूप में ईथर, हैलोथेन, कोलोफॉर्म और क्लोरप्रोकेन एजेंट्स का इस्तेमाल होता था. ये काफी दर्दभरी प्रोसेस थी और इसके काफी साइड इफेक्ट होते थे.
कभी कभी मरीज के शरीर में सही से दवा का असर नहीं होने पर वो दर्द से कराहता था तो कभी दवा ज्यादा होने पर मरीज की मौत के चांस बहुत ज्यादा हो जाते थे. इतनाा ही नहीं पुरानी और पारंपरिक एनेस्थीसिया प्रोसेस के बाद मरीज काफी समय बाद नींद से जागता था और उतने वक्त में उसके परिजनो की सांस अटकी रहती थी. एनेस्थीसिया के चलते पहले मौत के आंकड़ों का प्रतिशत काफी ज्यादा था और इसी डर से लोग एनेस्थीसिया लेने से भी डरते थे.
एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट आने से बनी बात
लेकिन नई तकनीक और नई मेडिकल तकनीकों के जरिए एनेस्थीसिया भी काफी ईज टू यूज हो गया है और ये बेहद आरामदायक प्रोसेस के रूप में दिख रहा है. अब मरीजों की मौत का प्रतिशत ना के बराबर होता है क्योंकि दुनिया भर में एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट की संख्या में इजाफा हुआ है. हर अस्पताल में आपको एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट मिलेंगे जो हर वक्त ड्यूटी पर रहते हैं. अब एनेस्थीसिया के लिए लंबी चौड़ी कवायद नहीं करनी पड़ती. खासकर सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान मरीज की कमर में एक छोटी सी सुई भी बड़े से बड़े ऑपरेशन को अंजाम दे देती है और मरीज जागृत अवस्था में भी रहता है.
ना जोखिम ना ओवरडोज
सीनियर एनेस्थेटिक डॉक्टर देवेंद्र गौतम के मुताबिक नए जमाने की एनेस्थीसिया प्रोसेस काफी अपडेट हुई है. सर्जरी से पहले मरीज की मेडिकल हिस्टरी, उसका हार्ट रेट, शरीर के हर हिस्से औऱ हर गतिविधि की जांच होने की सुविधा है जिससे मरीज की मे़डिकल कंडीशन को जांच कर एनेस्थीसिया की सही डोज दी जा सकती है. इससे एनेस्थीसिया का रिस्क रेट काफी कम हो गया है. नए जमाने का एनेस्थीसिया मरीज को लंबी नींद नहीं सुलाता, मरीज ऑपरेशन थिएटर के बाहर मुस्कुराता हुआ निकलता है.
एनेस्थीसिया की मदद से पेनलेस हो सकती है डिलीवरी
कहते हैं नॉर्मल डिलीवरी के दौरान कई हड्डियां एक साथ टूटने जितना दर्द होता है. तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिलीवरी के वक्त एक महिला को कितने दर्द से गुजरना पड़ता है. ऐसे में एनेस्थीसिया की एक नई टेक्निक है जिसे लेबर एनाल्जेसिया कहते हैं. इस तकनीक में स्पेसिफिक कंसंट्रेटेड ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है जिससे लेबर पेन को काफी हद तक कम किया जा सकता है. यहां तक कि सिजेरियन ऑपरेशन में भी महिला मरीज जागते हुए अपनी डिलीवरी को महसूस कर पाती है.
Anesthesia Process: अब एनेस्थीसिया की इस तकनीक से होगी पेनलेस डिलीवरी, एडवांस्ड एनेस्थीसिया में वक्त के साथ कम हुए कई रिस्क
कोमल शर्मा
Updated at:
10 Feb 2023 03:57 PM (IST)
एनेस्थीसिया की एक नई टेक्निक है जिसे लेबर एनाल्जेसिया कहते हैं. इस तकनीक में स्पेसिफिक कंसंट्रेटेड ट्रक का इस्तेमाल किया जाता है जिससे लेबर पेन को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
अब एनएसथीसिया की इस तकनीक से होगी पेनलेस डिलीवरी
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Published at:
09 Feb 2023 09:45 PM (IST)
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