Hangover Medication: अब शराब पीने के बाद नहीं झूमेंगे आप, पूरा नशा उतार देगी ये 'गोली', खाते ही आ जाएंगे होश में
WHO के मुताबिक, हर साल शराब की वजह से करीब 30 लाख लोगों की मौत हो रही है. दरअसल, ज्यादातर शराब पेट और आंतों की म्यूकस मेंबरेन लेयर से होते हुए ब्लड सर्कुलेशन तक पहुंच जाता है.
Hangover Medication : शराब का हैंगओवर अब ज्यादा देर तक सिर चढ़कर नहीं बोलेगा. एक झटके में ही पूरा नशा उतर जाएगा. एक ऐसा जैल (Gel) बनाया जा रहा है, जो दारू का नशा तुरंत उतार देगी और सेफ भी रखेगी. आयरन एटम और मिल्क प्रोटीन बीटा-लैक्टोग्लोबुलिन के कॉम्बिनेशन से बन रही ये जेल डाइजेशन सिस्टम में अल्कोहल से टकराकर इथेनॉल को एसीटेट में बदल देगा. जिससे नशा छूमंतर हो जाएगा. ETH ज्यूरिख की फूड साइंटिस्ट जियाकी सु और उनकी टीम ने हाल ही में इस स्टडी को नेचर नैनो-टेक्नोलॉजी में दी है.
किस तरह काम करेगी Gel
हमारा शरीर खुद ही अल्कोहल को तोड़ देता है. जिसके बाद इससे बाय-प्रोडक्ट एसीटैल्डिहाइड का प्रोडक्शन होने लगता है, जो नशा यानी हैंगओवर करता है. एसीटैल्डिहाइड लीवर के लिए भी खतरनाक होता है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के बायोकेमिस्ट डुओ जू का कहना है कि नया जैल अल्कोहल को सीधे एसीटेट में बदलने का काम करेगा यानी बीम में ही टॉक्सिक चीजें नहीं बन पाएगी. यह हाइड्रोजेल-बेस्ड नैनो-लीवर जैसा ही काम करता है.
जैल बनाने की जरूरत क्यों
WHO के मुताबिक, हर साल शराब की वजह से करीब 30 लाख लोगों की मौत हो रही है. दरअसल, ज्यादातर शराब पेट और आंतों की म्यूकस मेंबरेन लेयर से होते हुए ब्लड सर्कुलेशन तक पहुंच जाता है. शराब की थोड़ी सी मात्रा भी फोकस बिगाड़ कर रख देती है, जिससे कई तरह के खतरे बढ़ जाते हैं. यही कारण है कि रोजाना शराब पीना हानिकारक माना जाता है. इससे लीवर की बीमारियां, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की सूजन और कैंसर का खतरा है.
ईटीएच ज्यूरिख के रिसर्चर्स ने इस प्रोटीन जैल के जरिए इससे निजात पाने की तरकीब खोजी है. ईटीएच के अध्ययन में बताया गया कि चूहों में जैल ब्लडस्ट्रीम में घुसने से पहले ही अल्कोहल को जल्दी और बिना नुकसान के एसिटिक एसिड में बदल दिया. इसी से नशा और शरीर को नुकसान पहुंचता है.
हैंगओवर उतारने वाले जैल के फायदे
ईटीएच ज्यूरिख में फूड एंड सॉफ्ट मैटेरियल्स लैबोरेटरी प्रोफेसर राफेल मेजेंगा ने बताया कि 'जैल अल्कोहल के टूटने को लीवर से पाचन तंत्र में भेज देता है. इससे अल्कोहल लीवर में पच जाती है, जिससे इंरमीडिएट प्रोडक्ट के तौर पर एसीटैल्डिहाइड नहीं बनता है, जो जहरीला होता है और ज्यादा शराब पीने से होने वाली समस्याओं के लिए जिम्मेदार होता है.
इसी नुकसान से बचने के लिए शराब पीने के पहले या बाद में इस जैल को खाया जा सकता है. जैल तभी तक असरदार होगा, जब तक अल्कोहल जेस्ट्रोइंस्टेस्टिनल ट्रैक्ट में मौजूद होगा.' इसका मतलब जब शराब खून में आएगी तो उसकी पॉइजनिंग कम करने में मदद मिल सकती है. शराब न छोड़ पाने वालों के लिए यह जैल फायदेमंद हो सकती है.
जैल किन चीजों से बना है
रिसर्चर्स ने जैल को बनाने में व्हे प्रोटीन का इस्तेमाल किया है. लंबे, पतले रेशे बनाने के लिए उन्होंने इसे कई घंटों तक इसे उबालकर सॉल्वेंट के तौर पर नमक और पानी मिलाया, जिससे फाइब्रिल्स आपस में जुड़ जाते हैं और जैल तैयार हो जाता है. डिलीवरी सिस्टम की तुलना में इस जैल का फायदा ये है कि यह धीरे-धीरे पचता है.
हालांकि, अल्कोहल को तोड़ने के लिए कई कैटलिस्ट्स की जरूरत पड़ती है, जिसके लिए जैल में आयरन एटम का इस्तेमाल किया गया है. आंत में इस रिएक्शन को ट्रिगर करने के लिए हाइड्रोजन पेरोक्साइड की थोड़ी सी जरूरत पड़ती है, जिसके लिए सोना मिलाया गया है, चूंकि सोना पचता नहीं है, इसलिए इसका असर लंबे समय तक बना रहता है. मतलब इस जैल को बनाने में आयरन, ग्लूकोज और सोना का इस्तेमाल किया गया है.
मार्केट में कब तक आएगा जैल
रिसर्चर्स ने बताया कि उन्होंने जैल के पेटेंट के लिए पहले ही आवेदन कर दिया है. इंसान पर इस्तेमाल की इजाजत लेने से पहले अभी कई क्लीनिकल टेस्ट करने हैं. इसके बाद ही आम लोगों के लिए यह जैल मार्केट तक आ पाएगी. उन्होंने सारी प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करने का उम्मीद जताई है.
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