Anupam Kher: इस गंभीर बीमारी को झेल चुके हैं अनुपम खैर, ऐसे किया खुद को ठीक
अनुपम खेर ने मैनिक डिप्रेशन के अपने अनुभव के बारे में बात की है. अनुपम खेर ने इस पर खुलकर बात करने के साथ-साथ अपने फैंस और दर्शक को इस बीमारी को लेकर जागरूक करने का भी प्रयास किया है.
हिंदी सिनेमा के जाने माने एक्टर अनुपम खेर ने मैनिक डिप्रेशन के अपने अनुभव के बारे में बात की है. जिसे अब बाइपोलर डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है. अनुपम खेर ने इस पर खुलकर बात करने के साथ-साथ अपने फैंस और दर्शक को इस बीमारी को लेकर जागरूक कने का भी प्रयास किया है. एक्टर ने कहा कि जब वह इस बीमारी से जूझ रहे थे तब उनके शरीर में कई तरह के बदलाव हुए. जैसे- नींद की कमी, बहुत ज्यादा बात करना, चिड़चिड़ापन और जल्दी-जल्दी गुस्सा करना.
मैनिक डिप्रेशन को ही अब बाइपोलर डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है
अनुपम कहते हैं कि शुरू में उन्हें यह नॉर्मल लगा लेकिन बाद में यह परेशानी बढ़ने लगी. जिसके कारण उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मैनिक डिप्रेशन को अब बाइपोलर डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है. यह कई कारणों से हो सकता है. अगर किसी व्यक्ति की फैमिली हिस्ट्री ऐसी है तो उस बाइपोलर डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है.
बाइपोलर डिसऑर्डर एक दिमागी बीमारी है. जिसमें बहुत ज्यादा मूड स्विंग, शरीर की एनर्जी में कई तरह के बदलाव और गतिविधि के स्तर में बदलाव का कारण बनती है.
मैनिक एपिसोड
एक व्यक्ति बहुत खुश, उत्साहित या चिड़चिड़ा महसूस कर सकता है और उसका एनर्जी लेवल बढ़ सकता है. वे जल्दी-जल्दी बात भी कर सकते हैं. ध्यान केंद्रित करने में परेशानी महसूस कर सकते हैं और जोखिम उठा सकते हैं.
डिप्रेशन एपिसोड
एक व्यक्ति उदास, उदासीन या निराश महसूस कर सकता है. और उसका एनर्जी लेवल कम हो सकता है. उसे नींद की कमी, या बहुत अधिक नींद या बहुत अधिक या कम खाना खाने की समस्या भी हो सकती है.
मिक्सड एपिसोड
एक व्यक्ति एक ही समय में मैनिक और डिप्रेशन दोनों लक्षणों का अनुभव कर सकता है.
बाइपोलर टेस्ट और इलाज
बाइपोलर डिसऑर्डर को मैनिक-डिप्रेसिव डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है. यह एक आजीवन स्थिति है जिसके लिए आमतौर पर इलाज की आवश्यकता होती है. हालांकि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवा और थेरेपी जैसे उपचार लक्षणों को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं.
बाइपोलर डिसऑर्डर में शामिल कुछ कारक इस प्रकार हैं:
बायलॉजिक अंतर: बाइपोलर डिसऑर्डर वाले लोगों के मस्तिष्क में शारीरिक परिवर्तन हो सकते हैं.
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जेनेटिक अंतर: अगर किसी व्यक्ति के फैमिली में लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं तो चांसेस है कि वह आगे भी किसी जेनरेशन के लोगों को हो सकती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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