Aplastic anemia: एप्लास्टिक एनीमिया दुर्लभ बीमारी है जो किसी भी उम्र में हो सकती है. मगर इसका खतरा बच्चों और 20 साल की उम्र के लोगों को ज्यादा रहता है. स्वस्थ शरीर के लिए हमेशा नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण होते रहना चाहिए. लेकिन एप्लास्टिक एनीमिया में नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण बंद हो जाता है.


एप्लास्टिक एनीमिया दुर्लभ है


बोन मैरो नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं कर पाता. जिसके चलते प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं. ऐसी स्थिति में थकान महसूस होती है और संक्रमण समेत रक्तस्राव का खतरा रहता है. बच्चे में लाल रक्त की कोशिकाएं बहुत कम होने पर थकान होता है. अगर रक्त की सफेद कोशिकाएं कम हों तो संक्रमण बढ़ सकता है. स्टेम सेल बोन मैरो में लाल रक्त की कोशिका, सफेद रक्त की कोशिका और प्लेटलेट्स तैयार करता है.


बच्चे को रोग होने पर क्या करें


एप्लास्टिक एनीमिया में स्टेम सेल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं या मर जाते हैं. जिसकी वजह से बोन मैरो या तो खाली (Aplastic) हो जाता है या फिर कुछ रक्त कोशिकाएं (Hypoplastic) बच जाती हैं. एपलास्टिक एनिमिया दो तरह का होता है. हैएक्वायर्ड एप्लास्टिक एनीमिया और दूसरा है वंशानुगत एप्लास्टिक एनीमिया. चोट लगने पर रक्तस्राव, बुखार, कमजोरी, दिल की धड़कन का बढ़ना, सांस की किल्लत इत्यादि रोग के लक्षण हो सकते हैं. ये लक्षण किसी बच्चे में जाहिर हों तो वक्त रहते डॉक्टर से संपर्क किया जाना चाहिए. है. बीमारी की पहचान ब्लड टेस्ट की मदद से की जाती है. आम तौर पर बच्चों में बोन मैरो की समस्या की वजह मालूम नहीं होती है. एपलास्टिक एनिमिया का इलाज बच्चे की उम्र पर होता है. साथ ही ये भी देखना होता है कि एनिमिया किस स्तर का है.


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