नई दिल्ली: एक नई स्टडी में पता चला है कि आर्टिफीशियल स्वीटनर के अधिक इस्तेमाल से टाइप 2 डायबिटीज, मोटापे और हार्ट डिजी़ज़ का रिस्क बढ़ जाता है.
क्या कहती है रिसर्च-
कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन जर्नल द्वारा की गई रिसर्च में पता चला है कि आर्टिफीशियल स्वीटनर को वजन कम करने और डायबिटीज को कंट्रोल के लिए डिजाइन किया गया था. लेकिन इसका शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है. इससे पेट में बैक्टीरिया भी बढ़ रहे हैं.
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
हालांकि दूसरी और मैनिटोबा यूनिवर्सिटी के लेखकों का कहना है कि इस डेटा पर ज्यादा स्टडी नहीं की गई है और इसको पूरी तरह से साबित करने के लिए और ज्यादा स्टडी की जरूरत है. इसको अभी पूरी तरह से सही नहीं कहा जा सकता है.
शरीर पर इसका असर-
आर्टिफीशियल स्वीटनर का शरीर पर और क्या असर हो सकता है, इसको और बेहतर तरीके से समझने के लिए शोधकर्ताओं ने व्यस्कों और किशोरों के बीच बीएमआई, वज़न और मोटापे पर स्टडी की.
कुछ स्टडी में आर्टिफीशियल स्वीटनर से वजन घटाने के बारे में कोई खास प्रभाव नहीं देखा गया था. इतना ही नहीं, शोधकर्ता ये पुख्ता तौर पर नहीं कह सकते कि मोटापा बढ़ने, हाइपरटेंशन, हार्ट अटैक और टाइप 2 डायबिटीज का कारण आर्टिफीशियल स्वीटनर ही हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि वेट मैनेजमेंट के लिए नॉन न्यूट्रिटीव स्वीटनर स्पष्ट रूप से सपोर्ट नहीं करते हैं. इतना ही नहीं, नॉन न्यूट्रिटीव स्वीटनर का नियमित सेवन से करने बीएमआई लेवल बढ़ जाता है और कार्डियोमेटाबॉलिक का खतरा भी बढ़ जाता है.
क्या कहते हैं शोधकर्ता-
शोधकर्ता वेट मैनेजमेंट के लिए आर्टिफीशियल स्वीटनर के लाभों पर सवाल उठाते हैं. प्रमुख लेखक डॉ. मेघन आजाद का इस बारे में कहना है कि जब तक आर्टिफीशियल स्वीटनर का हेल्थ पर इफेक्ट पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता तब तक सावधानी बरकरार रखी जानी चाहिए.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.