Habits That Increase Anxiety: एंग्जाइटी एक बहुत ही गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या बन गई है जो दुनिया भर में कई व्यक्तियों को प्रभावित कर रही है. हालांकि चिंता के कई कारण हैं, लेकिन रोजमर्रा की कुछ आदतें इसे बढ़ाने में योगदान दे सकती हैं.अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए इन आदतों को पहचान कर इनसे दूरी बनाना जरूरी है. 


कैफीन का सेवन-


बहुत से लोग अपने दिन की शुरुआत करने के लिए कॉफी या एनर्जी ड्रिंक पर निर्भर रहते हैं. हालाँकि, अत्यधिक कैफीन का सेवन चिंता के लक्षणों को ट्रिगर या बढ़ा सकता है. कैफीन एक उत्तेजक के रूप में कार्य करता है. हृदय गति बढ़ाता है और तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है. जिससे बेचैनी और चिंता की भावना पैदा होती है.खासतौर से दोपहर और शाम को कैफीन का सेवन सीमित करने से बेहतर नींद को बढ़ावा मिल सकता है और चिंता कम हो सकती है.


डिजिटल कनेक्टिविटी-


जरूरत से ज्यादा सोशल मीडिया और स्क्रीन से कनेक्ट रहने से भी चिंता का स्तर बढ़ सकता है.लोग सुबह उठते ही अपने फोन को सबसे पहले चेक करते हैं ऐसे में न्यूज और देश मे होने वाली घटनाएं आपके अंदर चिंता पैदा कर सकती है.ऐसे में कोशिश करें की कम से कम सोशल मीडिया से खुद को कनेक्ट करें, स्क्रीन फ्री दिन गुजारें.


नींद की कमी-


नींद की कमी या अनियमित नींद का पैटर्न मानसिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है. क्वालिटि नींद की कमी चिंता के लक्षणों को बढ़ा सकती है.संज्ञानात्मक कार्य को ख़राब कर सकती है और रोजाना के तनावों से निपटना कठिन बना सकती है. लगातार नींद का शेड्यूल बनाए रखना,शांत माहौल में नींद लेना आपको चिंता से बचा सकता है.


एक्सरसाइज की कमी-


गतिहीन जीवनशैली जीने से चिंता का स्तर बढ़ सकता है. नियमित शारीरिक व्यायाम से एंडोर्फिन रिलीज होता है, जो प्राकृतिक मूड बूस्टर और सट्रेस रिलिवर्स है. शारीरिक गतिविधि बनाए रखने से स्ट्रेस हार्मोन को रेगुलट करने में मदद मिलती है जो आपको मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है. अपनी दैनिक दिनचर्या में छोटी-छोटी गतिविधियों को भी शामिल करना, जैसे कि थोड़ी देर टहलना या स्ट्रेचिंग करना, चिंता प्रबंध करने में मददगार साबित हो सकते है.


सेल्फ केयर की कमी-


खुद की देखभाल की ज़रूरतों को नज़रअंदाज करने से चिंता के लक्षण बढ़ सकते सकते हैं.काम से फुर्सत निकाल कर अपने दोस्तों और परिवारवालों को वक्त दें. अपने हॉबी को वक्त दें. इससे चिंता का स्तर कम करने में मदद मिलती है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


ये भी पढ़ें: डिमेंशिया के मरीजों के लिए 'संजीवनी बूटी' है जैतून का तेल, मौत के खतरे को कर सकता है कम, पढ़ें ये रिसर्च