कोरोना महामारी के बीच बैंगलोर में मानवता की मिसाल हैं 'ऑटो राजा', अपने शेल्टर होम में बनाया कोविड केयर सेंटर
ऑटो राजा पिछले 24 सालों से बैंगलोर में बेघर, बेसहारा और अनाथ लोगों को सहारा दे रहे हैं. इसके लिए उन्होंने होम ऑफ होप के नाम से प्राइवेट केयर सेंटर बनाए है. बैंगलोर में तीन जगह पर ये सेंटर हैं और इनमें लगभग 700 लोगों की देखभाल की जाती है.
बैंगलोर में मानवता की मिसाल थॉमस राजा पिछले 24 सालों से बेघर और बेसहारा लोगों को सहारा देते आ रहे हैं. कभी बैंगलोर में ऑटोरिक्शा चलाने वाले थॉमस लोगों के बीच ऑटो राजा के नाम से मशहूर हैं. थॉमस यहां 'होम ऑफ होप' के नाम से बेघर बुजुर्गों और बेसहारा अनाथ लोगों के लिए शेल्टर होम चलाते हैं. शहर में तीन अलग अलग जगहों पर ये शेल्टर होम काम करते हैं. कोरोना महामारी के बीच अब ये शेल्टर होम कोविड केयर सेंटर के तौर पर भी काम कर रहा है.
54 वर्षीय ऑटो राजा ने बताया, "हमने अपना खुद का कोविड केयर और आइसोलेशन सेंटर शुरू किया है. साथ ही यहां से कोरोना से संक्रमित कई मरीजों को हम सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचा चुके हैं. स्वास्थ्य अधिकारी समय समय पर हमारे सेंटर पर आते हैं और 15 से 20 लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट करते हैं. जिस से यहां कोरोना संक्रमण की स्थिति का लगातार पता चलता रहे. अब तक हमारे इन सेंटर पर 194 लोगों की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है. इनमें से केवल एक 88 वर्षीय बुज़ुर्ग की इस बीमारी से मृत्यु हुयी है."
वैक्सिनेशन है बड़ी चुनौती
बैंगलोर स्थित 'होम ऑफ होप' और इसके जैसे अन्य प्राइवेट केयर होम में वैक्सिनेशन एक बहुत बड़ी चुनौती है. 'होम ऑफ होप' के डॉक्टर दीनदयालन के अनुसार, "हमारे सेंटर पर जो लोग रह रहे हैं उनकी वैक्सिनेशन के लिए हम किस के पास जाए हमें नहीं पता है. स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ने कहा है कि जब उनके पास वैक्सीन उपलब्ध होगी तो वो इसमें हमारी मदद करेंगे. लेकिन वैक्सिनेशन के लिए हमें अपने मेडिकल स्टाफ का इंतजाम करना होगा."
नाईटेंगेल्स मेडिकल ट्रस्ट के संस्थापक डॉक्टर राधामूर्ति के अनुसार, "इन प्राइवेट केयर होम में रहने वाले ज़्यादातर लोग बूढ़े है और चल फिर नहीं सकते. इसलिए उन्हें वैक्सिनेशन सेंटर तक नहीं ले जाया जा सकता. साथ ही पहले अधिकारी वैक्सिनेशन के लिए आधार कार्ड मांग रहे थे जिसके चलते इनमें से जो लोग अनाथ है उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि अब उन्होंने इन लोगों के आधार कार्ड बनाने की बात कही है." साथ ही उन्होंने कहा, "हमने स्वास्थ्य अधिकारियों से ओल्ड एज होम में रहें लोगों का वहीं जाकर वैक्सिनेशन करने का आग्रह किया था लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं है. मोबाइल वैक्सिनेशन से यहां के ग्रामीण इलाकों में भी बुजुर्गों का वैक्सिनेशन आसान हो जाता. अधिकारियों को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए."
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