2009 से लेकर अब तक स्वाइन फ्लू भारत में 5000 लोगों को हमसे छीन चुका है. इस साल भी स्वाइन फ्लू के फैलने की शुरूआत हो चुकी है. सर्दियां आते-आते इसके और बढ़ने की आशंका है. स्वाइन फ्लू का वायरस हवा के साथ फैलता है. इसके फैलने के चक्र को रोका जा सकता है. एबीपी न्यूज ने स्वाइन फ्लू से देश को जागरूक करने की मुहिम शुरू की है. लेकिन ऐसा होना एक शख्स के बिना संभव नहीं है और वो शख्स हैं आप. कैसे? इसी पर है सीनियर प्रोड्यूसर मनीश शर्मा की ये सीरीज... स्वाइन फ्लू से सावधान!


दिल्ली के रहने वाले रमाशंकर बेहद खुशमिजाज़ शख्स हैं. जिससे मिलते हैं दिल खोलकर मिलते हैं. गर्मजोशी से सिर्फ हाथ ही नहीं मिलाते बल्कि उनका विश्वास गले मिलने में रहता है. उनका ये अंदाज उनको लोगों के दिलों में तो पहुंचाता ही है साथ ही फ्लू के मौसम में अक्सर अस्पताल भी पहुंचाता है.


स्वाइन फ्लू से सावधान करने की कोशिश में हमने कल बताया था स्वाइन फ्लू से बचने का श्योर शॉट फॉर्मूला. जिसमें हमने भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहने और हाथ मिलाने से बचने की सलाह दी थी. कैसे इसे आज समझाते हैं?


ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू


मेट्रो हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ आशुतोष बताते हैं कि स्वाइन फ्लू भी दूसरे फ्लू की तरह हवा से फैलने वाला संक्रमण है. इसका वायरस आपके मुंह या नाक से होते हुए बदन में दाखिल होता है. कभी हवा में फैले हुए ड्रॉपलैट के जरिए तो कभी आपके खुद के हाथ से आपके बदन में दाखिल होने का रास्ता ढूंढ ही लेता है स्वाइन फ्लू का वायरस.
 
आपके हाथों को हथियार बनाता है स्वाइन फ्लू


फ्लू होने पर जुकाम होना, खराश होना सबसे प्राथमिक लक्षण है. खांसते समय मरीज का हाथ चाहे अनचाहे मुंह पर आ ही जाता है. मुंह पर हाथ आते ही फ्लू के वायरस हाथ की खाल पर जगह बना लेते हैं. इसके बाद जैसे ही बीमार शख्स ने हाथ मिलाया तो ये वायरस तुरंत दूसरे इंसान के हाथ पर पहुंच जाता है. इसके बाद जैसे ही स्वस्थ इंसान का हाथ उसके मुंह या नाक तक गया वायरस को एक नया शिकार मिल जाता है. यही है वो चक्र जिसके जरिए स्वाइन फ्लू फैलता जाता है.


अब देखिए रमाशंकर बार-बार अस्पताल क्यों पहुंचते हैं. रमाशंकर लंच के वक्त टिफिन उठा कर कैंटीन की तरफ बढ़े. रास्ते में जो लोग मिले उन्होंने हाथ मिलाना शुरू किया. इसी बीच में गोपाल ने भी हाथ मिलाया. गोपाल को कुछ ठीक नहीं लग रहा था इसलिए आज वो घर जल्दी लौट रहे थे. तीन दिन की बीमारी के बाद जब गोपाल अस्पताल पहुंचे तब उन्हें पता चला कि उन्हें स्वाइन फ्लू हो गया है. लेकिन जिस वक्त रमाशंकर ने हाथ मिलाया था स्वाइन फ्लू का वायरस बदन में एक्टिव हो चुका था.


गोपाल के जरिए रमाशंकर और रमाशंकर के हाथों के जरिए वो वायरस कई हाथों तक पहुंच गया. इस बीच अगर किसी ने बिना हाथ धोए खाना खाया, या वायरस वाले हाथों को मुंह तक ले गए तो समझिए स्वाइन फ्लू उस व्यक्ति के बदन तक भी पहुंच गया.


इस तरह होगा स्वाइन फ्लू से बचाव


मेट्रो हॉस्पिटल के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ आशुतोष बताते हैं कि स्वाइन फ्लू से बचाव का एक बड़ा तरीका है हाथों को बार-बार धोना. खासकर खाने से पहले, छींकने-खांसने के बाद और किसी जुकाम या सर्दी के पीड़ित से मिलने के बाद. सिर्फ पानी से नहीं बल्कि साबुन से कम से कम बीस सेकेंड तक धोना.


अगर साबुन से धोना संभव ना हो तो एल्कोहल बेस्ड हैंड सेनिटाइजर से वायरस का खात्मा किया जा सकता है. हाथ धोने को स्वाइन फ्लू के खिलाफ पहली वैक्सीन माना जाता है जिसका इस्तेमाल आप बिना डॉक्टर की मदद के कर सकते हैं.


फ्लू के सीजन में हाथ ना मिलाएं


स्वाइन फ्लू या दूसरे फ्लू का वायरस हाथों की खाल पर कुछ मिनट तक जिंदा रह सकता है. इस बीच में वायरस वाले हाथों से जिसने भी हाथ मिलाया उसके हाथों में ये वायरस पहुंच जाएगा. इसलिए फ्लू के मौसम में हाथ मिलाने की बजाए नमस्ते और आदाब ज्यादा बेहतर है.सिर्फ नमस्ते से भी काम नहीं चलेगा क्योंकि वायरस वाले हाथों से अगर आपने फोन छुआ या कीबोर्ड छुआ तो वो भी संक्रमित हो सकते हैं. संक्रमण वाले हाथ जहां जहां लगेंगे वहां-वहीं बीमारी का खतरा बना रहेगा. हाथ धुलते ही ये चक्र रूक जाता है.


हाथों की सफाई का ध्यान रखें


हाथ धोने में ध्यान रखने वाली बात ये है कि पूरे हाथ, अंगुलियों, अंगूठे, नाखुनों और हाथ के पीछे साबुन लगाएं, बीस सेकेंड तक हाथ साफ करें. उसके बाद हाथ धोकर अच्छी तरह सुखाएं.


अगर आप बीमार हैं तो आपको दूसरों की रक्षा के लिए हाथ धोने का ख्याल रखना चाहिए. अगर आप बीमार नहीं हैं तो अपने लिए आपको इस अच्छी आदत को अपना लेना ही चाहिए. ध्यान रखिए स्वाइन फ्लू के मरीज बीमारी के पहले दिन से लेकर सातवें दिन तक वायरस फैला सकते हैं.


लेकिन हाथ धोना स्वाइन फ्लू और दूसरी बीमारियों को रोकने का एक चरण है. इसे आप बीमारी के हाथ कह सकते हैं. लेकिन बीमारी पैरों पर और तेज भागती है. बीमारी के पैर कैसे लगते हैं. स्वाइन फ्लू के वायरस कैसे दौड़ते हैं और कैसे आप इस दौड़ को रोक सकते हैं ये हम बताएंगे अगली सीरीज में.


इस सीरीज से संबंधित कोई सवाल, सुझाव या प्रतिक्रिया मनीष शर्मा को इन प्लेटफॉर्म के जरिए दे सकते हैं-


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