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साल 2050 तक 80 करोड़ से ज्यादा लोग हो जाएंगे इस बीमारी का शिकार, लांसेट की स्टडी में जानें किन्हें है ज्यादा खतरा
लांसेट स्टडी ने चेतावनी दी है कि जल्दी ही उपाय नहीं खोजे गए तो आने वाले कुछ सालों में इसके मरीज काफी तेजी से बढ़ जाएंगे यानी 2050 तक 80 से ज्यादा करोड़ लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं.

बैक पेन के कारण
Source : Freepik
Back Pain: बैक पेन (Back pain)यानी पीठ का दर्द तेजी से बढ़ती बीमारी के रूप में सामने आया है. अगर पीठ दर्द के मामले ऐसे ही बढ़ते रहे तो अगले लगभग 25 सालों में दुनिया भर के करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में आ सकते है. लांसेट रूमेटालॉजी जर्नल में पब्लिश एक स्टडी में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया भर में करीब 84 करो़ड़ लोग पीठ दर्द की समस्या से परेशान होंगे. इसके साथ ही स्टडी में ये भी कहा गया है कि पीठ दर्द के ज्यादातर मामले एशियाई और अफ्रीकी देशों में देखने को मिलेंगे.
बैक पेन के मामलों पर काबू पाने के लिए स्टडी
ऑस्ट्रेलिया में यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी की प्रोफेसर और पीठ दर्द इस अध्ययन की मेन राइटर मैनुअल फरेरा ने कहा कि इस स्टडी के तहत विश्व भर में लोगों में बैक पेन के मामलों पर रोशनी डाली गई है. अध्ययन में कहा गया है कि पीठ दर्द की समस्या आने वाले दिनों में मेडिकल और हेल्थकेयर प्रणाली पर एक बड़ा बोझ डाल सकता है. फरेरा ने बताया कि लोअर बैक पेन यानी पीठ दर्द के मामलों को काबू में करने के लिए इस पर सही तरह से रिसर्च होनी चाहिए ताकि इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सके.
लगातार बढ़ रही है बैक पेन की समस्या
लांसेट स्टडी में कहा गया है कि दुनिया भर में बैक पेन की समस्या से शिकार लोगों की संख्या 61.9 करोड़ थी, जबकि आने वाले सालों में ये कई गुना होने वाली है. इतना ही नहीं बैकपेन से जुड़ी इंजुरी और विकलांगता के करीब एक तिहाई मामले ऑफिस वर्कलोड, धूम्रपान और ज्यादा वजन से जुड़े हैं. हालांकि ये कहना गलत होगा कि बैक पेन से जुड़े अधिकतर मामले ऑफिस के वर्कलोड से संबंधित होते हैं.
महिलाओं में बैक पेन की समस्या ज्यादा
शोधकर्ताओं का निष्कर्ष है कि बैक पेन के ज्यादातर मामले बढ़ती उम्र से संबंधित हैं और इनमें भी पुरुषों के मुकाबले महिलाएं इसका ज्यादा शिकार होती हैं. लांसेट स्टडी में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के पिछले 20 सालों के डेटा का आकलन किया गया है. लांसेट स्टडी के लिए डेटा के लिए करीब 204 देशों में स्टडी की गई. इस स्टडी के तहत तीस साल से ऊपर के लोगों पर आकलन किया गया है.
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नयन कुमार झाराजनीतिक विश्लेषक
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