Bacterial Infection: ठंड में लाडले पर बैक्टीरियल अटैक तो नहीं हुआ... इन लक्षणों पर गौर कर जरूर पहचान लिजिए
सर्दियां बढ़नी शुरू हो गई हैं. छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है. इस सीजन में उन्हें वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन से बचाने की जरूरत है
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Bacterial Infection Treatment: सर्दी का मौसम है. धीरे धीरे ठंड बढ़ती ही जा रही है. सर्दी की जकड़ में आने से खांसी, जुकाम, बुखार की समस्याएं देखने को मिल रही हैं. ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और अस्थमा भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. परिवार में छोटे बच्चे भी मौजूद होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अधिक गर्मी हो या अधिक सर्दी, ऐसे बच्चों का ख्याल रखना जरूरी है. इम्यून सिस्टम उतना अधिक मजबूत न होने के कारण बच्चों को भी सर्दी अधिक जकड़ लेती हैं. बैक्टीरियल और वायरल अटैक तेजी से उन्हें अपनी चपेट में ले सकते हैं. ऐसे मेें घरवालों को अलर्ट रहने की जरूरत है.
रेस्पायरेटरी रेट ऐसे नापिए
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा सर्दी की जकड़ में आया है या नहीं. उसके लिए उसका रेस्पायरेटरी रेट(आरआर) जरूर देखने चाहिए. आरआर नापने का एक मापन होता है कि एक मिनट में बच्चे ने कितनी बार सांस ली. इससे मां, पिता या परिवार के अन्य सदस्य आसानी से नाप सकते हैं. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा जब गहरी नींद में हो तब ही रेस्पायरेटरी रेट नापना चाहिए. जगने पर श्वसन दर बिगड़ सकती है. यदि बच्चे की उम्र एक साल से कम है तो 50 प्रति मिनट से अधिक आरआर एक समस्या है. यदि बच्चा 1-5 साल का है, 40 सांस प्रति मिनट से ऊपर ले रहा है, तब भी प्रॉब्लम है. अगर आपका बच्चा 5 साल से ऊपर है और 30 प्रति मिनट से ऊपर सांस ले रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.
इन लक्षणों को जरूर पहचानिए
बच्चों में सर्दियों में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है. इसके लक्षणों की बात करें तो बुखार, ठंड लगना, सांस लेने में कठिनाई होना, सिरदर्द, थकान रहना, भूख में कमी, खांसी, सीने में दर्द होना शामिल हैं.
जांच कराकर इलाज कराएं
यदि किसी तरह की परेशानी आ रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. डॉक्टर छाती का एक्स-रे करवाएगा. खून की जांच करेगा और जरूरत पड़ने पर थूक के कल्चर के लिए भी कहेगा. जांच कराकर बच्चे का उपचार शुरू कर दिया जाएगा. एक्सपर्ट का कहना है कि इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें.
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