Arthritis Disease: खराब लाइफस्टाइल की वजह से कई रोग ह्यूमन बॉडी में घर घर जाते हैं. हाइपरटेंशन, डायबिटीज, कोलेस्ट्रोल का अधिक होना यह सब लाइफस्टाइल डिसीज हैं. आज वर्ल्ड अर्थराइटिस डे है। हड्डियों के रोग भी अमूमन लाइफस्टाइल से जुड़े होते हैं. यदि व्यक्ति की लाइफ स्टाइल ठीक है तो हड्डी के रोग पनपने की संभावना बहुत कम होती है. और वही लाइफ़स्टाइल बिगड़ी हुई है तो अर्थराइटिस होने का खतरा बहुत अधिक हो जाता है. यह ऐसा रोग है जिसमें जीवन जीना ही अपने आप में एक स्ट्रगल लगने लगता है. थोड़ी सी सावधानी बरतकर इस रोग को दूर भगाया जा सकता है. हालांकि अर्थराइटिस जैसे कोई भी लक्षण यदि बॉडी में आ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.


इन Symptoms को जरूर पहचानिए
अर्थराइटिस होने पर मरीज को बार बार बुखार आता है. जोड़ों में दर्द होता है. सूजन बहुत अधिक आ जाती है. भूख कम लगती है. जोड़ों के आसपास गोल आकार की गांठे हो जाती हैं. जोड़ हिलाने पर दुखन बहुत ज्यादा होती है. बॉडी में रेड रेशेज भी पड़ जाते हैं.


कैसे होती है अर्थराइटिस
जॉइंट में एक टिश्यू होता है. नाम है कोर्टिलेज. यह जोड़ों को नरम और लचीला बनाने काम करता है. यदि प्रॉपर मात्रा में कार्टिलेज जोड़ों में मौजूद है तो अर्थराइट की दिक्कत नहीं होती है. लेकिन जोड़ों की चोट होने या फिर किसी तरह का इंफेक्शन होने पर कोर्टिलेज में कमी आ जाती है. इससे अर्थराइटिस पैदा होने का खतरा पैदा हो जाता है.


100 तरह की होती है अर्थराइटिस
डॉक्टरों का कहना है कि अर्थराइटिस 100 तरह की होती है लेकिन जो सबसे ज्यादा कॉमन पाई जाती है. उसका नाम है रुमेटी अर्थराइटिस. यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है. दरअसल जोड़ों में सिनोवियम नामक एक तत्व पाया जाता है. यह कोर्टिलेज  को नरम और लचीला बनाने का काम करता है. जब रुमेटी अर्थराइटिस बीमारी हो जाती है तो इसमें इम्यून सिस्टम यानि बीमारी से बचाव करने वाला हमारा प्रतिरोधी तंत्र ही सुनोवियम पर अटैक करना शुरू कर देती है. इससे सुनोवियम की मात्रा कम होती है. धीरे धीरे कोर्टिलेज कम होने लगता है और जोड़ों में रुमेटिक अर्थराइटिस नामक रोग बन जाता है.


जांच और बचाव के उपाय
ब्लड में यूरिक लेवल की जांच की जाती है. यदि यूरिक एसिड बढ़ जाता है तो इसे अर्थराइटिस मान लिया जाता है. इसके अलावा एक्सरे से भी अर्थराइटिस की जांच की जाती है. बचाव के लिए मोटापा कम करें, जॉइंट इंजरी पर जोड़ों का ख्याल रखें, स्ट्रेस अधिक नहीं लेना चाहिए. परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाएं.


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