SMOG: संभलकर रहिए, निमोनिया का शिकार बना सकता है ये स्मॉग
पराली जलने के कारण एनवायरमेंट में कार्बन के कणों की मात्रा बढ़ गई है. हवा में छाई धुंध लोगों की सांसों को जकड़ रही है. इस हवा से बच्चे हो या बूढ़े, सभी को निमोनिया होने का खतरा बढ़ गया है.
Lungs Disease: किसानों खेतों में पराली फूंक रहे हैं. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में पराली जलाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं. इसका सीधा असर एनवायरमेंट में देखने को मिल रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने से कार्बन के पार्टिकल काफी मात्रा में पैदा होते हैं. वहीं पार्टिकल हवा में फैल जाते हैं. इससे एनवायरमेंट में ऑक्सीजन की कमी होने लगती हैं. लोगों को यही पर्यावरण सांसों की बीमारी का शिकार बना रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि पराली जलाने से जो स्मॉग बना है. उसने लंग्स के काम करने की क्षमता को प्रभावित किया है. इससे फेफड़े कमजोर हुए हैं.
निमोनिया, अस्थमा का बढ़ा खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि स्मॉग बढ़ने के कारण सांस के मरीजों में वृद्धि होने लगी है. पहले जहां अस्पताल में 20 मरीज सांस संबंधी बीमारी दिखाने आ रहे थे. वहीं अब यह आंकड़ा बढकर 40 से 50 तक पहुंच गया है. यह प्रदूषण और सर्दियों की शुरुआत के कारण है. हर साल सर्दी की शुरुआत में वायरल संक्रमण में वृद्धि होती है जो गले और छाती को प्रभावित करती है. बुजुर्ग और बच्चों में चेस्ट में संक्रमण और निमोनिया होने की संभावना सबसे अधिक होती है. जिन बुजुर्गाें को हार्ट डिसीज, डायबिटीज, किडनी की बीमारी या अन्य कोई रोग है तो वह जल्दी ऐसी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. इस समय निमोनिया के केस तेजी से बढ़े हैं.
इन्फेक्शन को ऐसे पहचान लें
फेफड़ों में होने वाले इंपफेक्शन, निमोनिया के कारण देश में 5 साल से कम उम्र के बच्चे दम तोड़ देते हैं. सांस संबंधी बीमारियों के लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू करा देना चाहिए. लक्षणों में तेजी से सांस लेना, कभी सांस लेने में कठिनाई होना, तेज बुखार, अंगों का नीला पड़ना, ऑक्सीजन कम ले पाना, सांस लेने में घरघराहट, चिड़चिड़ापन आदि शामिल हैं. यदि बच्चे को कोई गंभीर समस्या नहीं है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक देकर या फिर सामान्य दवा देकर इलाज शुरू कर देते है.
बीमार हैं तो इलाज शुरू करा दें
डॉक्टरों का कहना है कि यदि उम्र 60 वर्ष से अधिक है तो सभी को फ्लू के टीके लगवाने चाहिए. कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों को निमोनिया का टीका लगवा लेना चाहिए.जिन लोगों को फेफड़ों की पुरानी बीमारी है, उन्हें इन्हेलर के साथ बताई गई दवा रेग्यूलर लेनी चाहिए. एक्यूआई लेवल अधिक होने पर बुजुर्ग बाहर न निकलें और बच्चों को भी बाहर नहीं खेलने देना चाहिए. घर से बाहर जरूर जाना है तो मुंह को कपड़े से ढककर जाएं. ठंडी चीजों को खाने ससे बचें. डायबिटीज या हाइपरटेंशन रोगी हैं तो दवा रेग्यूलर लेनी चाहिए. इंसुलिन ले रहे हैं तो उसे भी नियमित लें. बीपी या शुगर अनियिंत्रत रहने वालों को निमोनिया और अन्य इंफेकशन होने की संभावना अधिक होती है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि और तरीकों को केवल सुझाव के रूप में लें. किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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