नई दिल्लीः क्या आप जानते हैं सीटी स्कैन के रेडिएशन से आपको कैंसर का खतरा हो सकता है. हाल ही में आई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि सीटी स्कैन से निकलने वाली रेडिएशन के संपर्क में आने से थायराइड कैंसर और ल्यूकेमिया के विकास का जोखिम रहता है. चलिए जानते हैं, ये रिसर्च क्या कहती है.


जर्नल जेएनसीआई कैंसर स्पेक्ट्रम में प्रकाशित इस रिसर्च में 2000 और 2013 के बीच ताइवान के राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा डेटासेट को आधार बनाया. रिसर्च के बाद 22,853 थायराइड कैंसर और 13,040 ल्यूकेमिया और 20,157 नॉन हॉजकिन लिंफोमा मामले सामने आए. रिसर्च के नतीजों से पता चला है कि थायराइड कैंसर और ल्यूकेमिया विकसित करने वाले रोगियों में सीटी स्कैन बड़ा कारण था.


नई दिल्ली के एक्शन कैंसर हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट क्लिनिकल हेमटोलॉजिस्ट गौरव दीक्षित ने बताया कि लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहने से त्वचा में लालिमा आ सकती है. दीक्षित ने ये भी कहा कि हमें बच्चों से सावधानी बरतने की जरूरत है और स्कैन की संख्या सीमित होनी चाहिए.


रिसर्च में यह भी पता चला है कि 36 से 45 वर्ष की आयु के रोगियों के लिए सीटी स्कैन से जुड़े नॉन हॉजकिन लिंफोमा का तीन गुना बढ़ा जोखिम था. सीटी स्कैन करवाने वाले मरीजों में सामान्य रूप से थायराइड कैंसर और ल्यूकेमिया विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है, विशेषकर महिला रोगियों और 45 वर्ष से कम उम्र के रोगियों में.


नोएडा में जेपी अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के नितिन लीखा के अनुसार, किसी भी तरह का रेडिएशन जोखिम कैंसर से जुड़ा है और यह तथ्य पहले से ही अच्छी तरह से स्थापित है. उनहोंने बताया कि जब तक बिल्कुल आवश्यक नहीं है तब तक बार-बार रेडिएशन के संपर्क से बचना चाहिए. कैंसर विकसित होने से पहले आमतौर पर कई वर्षों का समय होता है. लीखा ने ये भी कहा कि अगर किसी व्यक्ति को बचपन में कई बार रेडिएशन का जोखिम होता है तो उन्हें कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है.


ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.