Bile Duct Cancer Causes: बाइल डक्‍ट यानी पित्त नली का कैंसर घातक कैंसर है जो पित्त नली पर हमला करता है. पित्त नली ट्यूबों की एक प्रणाली है जो छोटी आंत में जाती है. इस कैंसर के शुरूआती लक्षण और संकेत सामान्य होते हैं. हालांकि इस कैंसर को इलाज से सही किया जा सकता है अगर समय रहते शुरुआती लक्षणों की पहचान कर ली जाए.  पित्त नली कैंसर के कोई भी लक्षण आमतौर पर पित्त नली की रुकावट के कारण होते हैं. यह कैंसर किसी को भी हो सकता है. लेकिन ज्यादातर सिगरेट या शराब का सेवन करने वाले लोगों में इस कैंसर के होने का ज्यादा रिस्क रहता है. बाइल डक्ट कैंसर को इन शुरुआती लक्षणों के जरिए आप पहचान सकते हैं. 


खुजली: ज्यादातर पित्त नली के कैंसर के रोगियों को खुजली महसूस होती है क्योंकि त्वचा में अत्यधिक बिलीरुबिन का स्तर एक व्यक्ति को खरोंच कर सकता है.


पीलिया: पीलिया पित्त नली के कैंसर का सबसे आम लक्षण है, इस तथ्य के बावजूद कि इसका अक्सर कैंसर से कोई संबंध नहीं होता है. 


यूरिन के रंग में बदलाव: अगर ब्लड में बिलीरुबिन का स्तर अधिक है, तो गहरे रंग का यूरिन पित्त नली के कैंसर का संकेत हो सकता है. यूरिन का रंग अजीब होता है.


भूख न लगना और वजन बढ़ना:​ पित्त नली के कैंसर वाले लोगों को भूख नहीं लग सकती है और बिना कारण के ही वजन कम हो सकता है.


पेट दर्द:  शुरुआती समय में पित्त नली का कैंसर हल्के से मध्यम पेट दर्द का कारण बन सकता है, लेकिन बड़े ट्यूमर अधिक गंभीर दर्द पैदा कर सकते हैं, खासकर पसलियों के नीचे दाईं ओर.


उल्टी और जी मिचलाना: ये लक्षण उन लोगों में दिखाई दे सकते हैं जो पित्त नली की रुकावट के परिणामस्वरूप हैजांगाइटिस विकसित करते हैं. उल्टी और जी मिचलाना बुखार के लक्षणों के साथ होता है.


ऐसे करें पित्त नली के कैंसर की पहचान


पित्त नली के कैंसर का इलाज कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन पेट का सीटी स्कैन, MRCP, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एंडोस्कोपी, एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेजनोपैंक्रेटोग्राफी (ERCP), कोलेजनोस्कोपी, और एंडोस्कोपिक अल्ट्रासोनोग्राफी कराने से इस कैंसर की पुष्टि कर सकते हैं. ईयूएस सटीक अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान पित्त नली और इसके साथ किसी भी समस्या का पता करने के लिए एंडोस्कोपी का यूज मरीज को बेहोश करके किया जा सकता है. ईआरसीपी से गुजरने वाले मरीजों को एक विशेष डाई का इंजेक्शन लग सकता है. कैंसर को करीब से देखने के लिए कोलेजनोस्कोपी अध्ययन के दौरान पित्त नली में एक छोटा सा दायरा डाला जाता है. कैंसर के चरण के आधार पर मरीज को कीमोथेरेपी या सर्जरी के लिए कहा जा सकता है. एंडोस्कोपिक तकनीक पीलिया का इलाज कर सकती है. बाइल डक्ट कैंसर से बचने के लिए रोजाना एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट ही लेनी चाहिए. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


ये भी पढ़ें: Corona virus: कोरोना वेरिएंट XBB 1.16 के लक्षण महसूस हो रहे हैं? तो घर पर ऐसे करें अपनी केयर