नई दिल्लीः क्या सचमुच काला गेहूं कैंसर से लेकर डायबिटीज तक और दिल की बीमारियों से लेकर मोटापे तक हर रोग का इलाज करने में सक्षम है? जी हां, हाल ही में एक मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि जल्द ही काला गेहूं उगाया जाएगा तो कई गंभीर बीमारियों को दूर करेगा.


इसकी तह तक पहुंचने के लिए एबीपी न्यूज ने जांच-पड़ताल की. जानिए, सच क्या है.


क्या है वायरल मैसेज-
काले गेहूं की फोटो के साथ मैसेज में लिखा है कि 7 साल की रिसर्च के बाद तैयार देश में पहली बार उगने वाला काला गेहूं आम गेहूं से दोगुनी कीमत पर बाजार में बिकेगा.


कैंसर, डायबिटीज, तनाव, मोटापा और दिल की बीमारियों को रोकने वाला ये गेहूं रोज खा सकते हैं. पहली बार काले गेहूं की फसल पंजाब में उगाई जाएगी. किसानों को भी आम गेहूं के मुकाबले इसका दोगुना दाम मिलेगा
मोहाली के नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट यानि एनबीआई ने काले गेहूं का पेटेंट भी करा लिया है.


क्या कहना है एक्सपर्ट का-
इसकी पड़ताल के लिए एबीपी न्यूज की टीम ने नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट की मोनिका गर्ग से बात की. मोनिका गर्ग ने ना सिर्फ काले गेंहू की फसल हमारी टीम को दि‍खाई बल्कि इसके बारे में भी बातचीत की.


मोनिका गर्ग ने बताया कि ये बात एकदम सही है कि पहली बार इंडिया में काले रंग का गेहूं आ रहा है. उन्होंने ये भी बताया कि हमने तीन तरह की गेहूं बनाई है- काली, नीली और जामुनी. पहली बार ये तीनों ही गेहूं किसानों के लिए आएं हैं.


गेहूं में ये रंग किस वजह से है, के जवाब में मोनिका गर्ग ने बताया कि अलग-अलग रंग के गेहूं में बहुत ज्यादा मात्रा में एन्थोसाइनीन होता है. ये एन्थोसाइनीन ही गेहूं को रंग देने का काम करता है. उन्होंने बताया कि फल और सब्जियों में जो रग होता है वो भी एन्थोसाइनीन के कारण होता है.


क्या इस गेहूं की कीमत सामान्य गेहूं से दोगुनी होगी, इसके जवाब में मोनिका गर्ग ने बताया कि इसकी कीमत कितनी होगी ये तो मार्केट डिसाइड करेगा. हमने पिछले साल किसानों से काले गेहूं लगवाया जिसके जिसके लिए हमने दोगुना पेय किया था. अब हम कुछ कंपनियों से करार कर रहे हैं तो ऐसे में कंपनी डिसाइड करेगी कि किसानों को कितना इंसेंटिव देना है. अभी ये पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता कि इसकी कीमत दोगुनी ही होगी.


तो क्या सचमुच ये काला गेहूं डायबिटीज, कैंसर, मोटापा और दिल की बीमारियों जैसी गंभीर बीमारियों से बचाएगा, के जवाब में मोनिका गर्ग ने कहा कि ये कहना मुश्किल है कि ये इंसानों पर कितना कारगर है. हमने चूहों पर स्टडी की है. स्टडी के दौरान काले गेहूं ने चूहों के वजन, ब्‍लडप्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल को कम किया है. अभी तक इंसानों पर इसकी रिसर्च नहीं हुई है.


क्या फर्क है काले गेहूं और सामान्य गेहूं में-
दोनों में ही प्रोटीन, न्यूट्रिएंट्स और स्टार्च होता है. दोनों के बीच आयरन, जिंक और एंथोसाइनीन का फर्क होता है. सामान्यू गेहूं में जहां 5पीपीएम एंथोसाइनीन होता है वहीं काले गेहूं में 100 से 200 पीपीएम एंथोसाइनीन की मात्रा होता है जो कि शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है. वहीं काले गेहूं में सामान्य गेहूं के मुकाबले 60 फीसदी ज्यादा आयरन होता है.


कब आएगा बाजार में काला गेहूं-  
इस संस्थान ने अभी तक 100 एकड़ में काले गेहूं की खेती की है. लेकिन इस साल इसकी खेती और बढ़ाई जाएगी जिससे ये जल्द से जल्द बाजार में आ सके. काले गेहूं की पैदावार बढ़ते ही ये अन्य उत्पा‍दों में इस्तेमाल किया जाना लगेगा.


काले गेहूं के बारे में क्या कहते हैं डॉक्टर्स-
दिल्ली के प्राइमस हॉस्पिटल में डॉ. कौशल कांत मिश्रा ने बताया कि अभी तक ये पब्लिक में इस्तेमाल नहीं हुआ है तो इसके बारे में कमेंट करना मुश्किल है. लेकिन कोई सरकारी संस्था इसे पेटेंट करवा रही है तो और इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू डिसाइड कर रही है तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि कोई बीमारी है तो उसका इलाज किया जा सकता है खानपान से सिर्फ बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है, उसे ठीक नहीं किया जा सकता.


एबीपी न्यूज की पड़ताल में काले गेहूं के साथ ही नीला और जामुनी गेहूं भी सामने आया है और देश में इसकी खेती भी शुरू हो गई है.