Blood oxygen level: ब्लड ऑक्सीजन लेवल का कम होना हो सकता है घातक, जानिए इसके बारे में सबकुछ
ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की निर्धारित मात्रा को बनाए रखना बेहद जरूरी है और इसके लिए आपको खान-पान पर भी ध्यान देना जरूरी है.
हमारे शरीर में ब्लड ऑक्सीजन लेवल रेड ब्लड सेल्स (आरबीसी) में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा को निर्धारित करता है. यह ब्लड के टोटल हीमोग्लोबिन में ऑक्सीजन सैचुरेटेड हीमोग्लोबिन का स्तर है. एक संतुलित और सामान्य ब्लड ऑक्सीजन लेवल बनाए रखना वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, अस्थमा और हृदय रोगों जैसी गंभीर कंडीशन वाले लोगों को रेगुलर अपने ब्लड ऑक्सीजन लेवल मोनिटर करते रहना चाहिए.
इसे कैसे मापा जा सकता है? आपके ब्लड ऑक्सीजन लेवल को दो तरीकों से मापा जा सकता है. एक पल्स ऑक्सीमीटर की मदद से मापा जा सकता है जो कि एक छोटा डिवाइस होता है. इसको उंगलियों पर लगाया जा सकता है. यह आपके ब्लड में ऑक्सीजन सैचुरेशन के स्तर को मापता है.ब्लड ऑक्सीजन लेवल को चैक का दूसरा तरीका आर्टीरियल ब्लड गैस (एबीजी) है. यह एक ब्लड टेस्ट है जो न केवल आपके रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को मापता है बल्कि आपके रक्त में दूसरी गैसों के स्तर को भी डिडेक्ट करता है.
नॉर्मल ब्लड ऑक्सीजन कितना होता है? आर्टिरियल ब्लड गैस के लिए एक नॉर्मल रीडिंग लगभग 75 से 100 मिलीमीटर (एमएम एचजी) है, हालांकि सामान्य पल्स ऑक्सीमीटर रीडिंग आमतौर पर 95 से 100 प्रतिशत तक होती है.
ब्लड ऑक्सीजन लेवल गिरने पर क्या होता है? जब ब्लड ऑक्सीजन 75 mmHg से कम हो जाता है तो स्थिति को आमतौर पर हाइपोक्सिमिया कहा जाता है. यदि यह आगे 60 mmHg तक गिर जाता है तो आपातकालीन सपोर्ट की जरूरत होती है और ऑक्सीजन सिलेंडर के माध्यम से सप्लीमेंट ऑक्सीजन दिया जा सकता है.
ब्लड ऑक्सीजन लेवल में कमी के इफैक्ट ब्लड ऑक्सीजन लेवल में ज्यादा कमी से सीने में दर्द, भ्रम की स्थिति, सरदर्द,- सांस लेने में कठिनाई, दिल की धड़कन बढ़ जाना जैसी चीजें हो सकती हैं.
ब्लड ऑक्सीजन लेवल में कमी के कारण पहले से चल रही कई मेडिकल कंडिशंस रक्त ब्लड ऑक्सीजन लेवल को गिरा सकती हैं. उनमें सीओपीडी, अस्थामा, लंग का कोलेप्स होना, हृदय रोग, एनीमिया, धूम्रपान आदि शामिल हैं.हाइपोक्सिमिया या लो-ब्लड ऑक्सीजन लेवल को रोकने के उपाय डॉक्टर से परामर्श करना इस समस्या से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है. कुछ बदलावों और होम रेमेडी से भी इसे रोक सकते हैं. व्यायाम और योग भी इसमें सहायक हैं. हाइड्रेटेड रहना आपके लेवल को स्थिर रखता है. हेल्दी और बैलेंस डाइट से भी सुधार आता है.
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