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इस डिसऑर्डर से जूझ रही थीं श्रद्धा कपूर, जानें क्या हैं इसके लक्षण और कैसे होता है इलाज

श्रद्धा कपूर कुछ सालों तक एंग्जायटी डिसऑर्डर से गुजर रही थीं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्हें समझ ही नहीं आया कि उन्हें क्या तकलीफ़ है. उन्होंने कहा, मुझे यह भी नहीं पता था कि एंग्जायटी क्या होती है?

जिस तरीके से हमें सर्दी-बुखार या शरीर में कोई गंभीर बीमारी होती है. ठीक उसी तरह मेंटल हेल्थ भी बिगड़ती है. लेकिन अक्सर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं. लेकिन बदलते जमाने के साथ एक अच्छी बात यह हुई है कि हमारे अभिनेता इन मुद्दों पर खुलकर बात कर रहे हैं. हाल ही में आलिया भट्ट ने अपनी मेंटल हेल्थ को लेकर एक पोडकास्ट में खुलकर बात की थी. ठीक वैसे ही श्रद्धा कपूर भी एंग्जायटी डिसऑर्डर जैसी गंभीर मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम को झेल चुकी हैं. पिंकविला को दिए इंटरव्यू में श्रद्धा ने बताया था कि शुरुआत में उन्हें समझ ही नहीं आया कि उन्हें क्या तकलीफ़ है. उन्होंने कहा, मुझे यह भी नहीं पता था कि एंग्जायटी क्या होती है?

श्रद्धा कपूर कहती हैं कि हमें बहुत लंबे समय से इसके बारे में पता नहीं था. आशिकी के बाद ही मुझे एंग्जायटी के ये शारीरिक लक्षण दिखने लगे. ऐसा दर्द हो रहा था जिसका कोई शारीरिक निदान नहीं था. हमने बहुत सारे टेस्ट करवाए लेकिन डॉक्टर की रिपोर्ट में मेरे साथ कुछ भी गलत नहीं था. यह अजीब है क्योंकि मैं सोचती रहती थी कि मुझे यह दर्द क्यों हो रहा है? फिर मैं खुद से पूछती रहती थी कि ऐसा क्यों हो रहा है?

जानें एंग्जायटी के लक्षण और बचाव का तरीका

एक स्टडी में पता चला है कि भारत में हर 100 में से 88 लोग एंग्जाइटी का शिकार हैं. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जो शरीर मेंटली और फिजिकली तौर पर प्रभावित कर सकता है.काम का तनाव या घर-परिवार में चल रही परेशानी को लेकर बहुत ज्यादा चिंता और ओवरथिंकिंग मेंटली और फिजिकली बीमार बना सकता है. इसकी वजह से एंग्जाइटी जैसी समस्या भी हो सकती है. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जो नींद को प्रभावित कर सकता है, मांसपेशियों में तनाव, पाचन की समस्याएं, चिड़चिड़ापन, फोकस करने में दिक्कतें और पैनिक अटैक को बढ़ा सकता है.

यह भी पढ़ें: देश के लगभग 88% लोग हैं एंग्जायटी के शिकार, अगर आप भी हैं उनमें से एक तो करें ये काम

एक स्टडी में पता चला है कि देश में करीब 88% लोग ऐसे हैं, जो किसी न किसी तरह के एंग्जायटी (Anxiety) की चपेट में हैं. मतलब हर 100 में से 88 लोग इस मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हैं. इससे बचने के लिए 3-3-3 रूल (3 3 3 Rule For Anxiety) अपना सकते हैं.

इस नियम में आपको अपने दिमाग में कुछ चीजों को लाकर उन पर काम करना है और होने वाले बदलावों को देखना है. इसके लिए देखने, सुनने और करने जैसी तीन बातों पर पूरी तरह फोकस होना पड़ता है. इसका फायदा दिमाग को काफी ज्यादा होता है और एंग्जाइटी की समस्या से बचने में मदद मिलती है.

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एंग्जायटी में होने पर खुद पर कंट्रोल नहीं रहता है, ऐसे में खुद को वहीं रोककर चारों तरफ देखना चाहिए. अपनी आंखों और अपने आसपास नजर वाली चीजों पर ध्यान दें, फिर उन तीन चीजों के बारें में बताइए, जिन्हें आप आसपास देख सकते हैं.

अपने आसपास से आने वाली 3 आवाजों को सुनकर उन्हें पहचानने की कोशिश करें. तीनों आवाजों की एक-एक बारीकी पर फोकस करें. तीनों पर सही तरह ध्यान देने के बाद बोले कि आपने क्या-क्या सुना.अब खुद में स्पर्श की भावना लाएं. तीन चीजों को छूकर देखें और फिर अपने शरीर के तीन अंगों को हिलाएं. सबसे पहले अपनी उंगलियों को चलाएं, पैर की उंगलियों को घुमाकर सिर को एक से दूसरी तरफ ले जाएं.

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