शाहरुख खान ने 59 की उम्र में छोड़ी सिगरेट, जानें कब तक आप स्मोकिंग से कर सकते हैं तौबा
कभी चेन स्मोकर रहे शाहरुख खान ने हाल ही में घोषणा की कि उन्होंने पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ दिया है. हेल्थ एक्सपर्ट इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ बता रहे हैं.
कभी चेन स्मोकर रहे शाहरुख खान ने हाल ही में घोषणा की कि उन्होंने पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ दिया है. जो बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. बॉलीवुड के इस चहेते आइकन ने अपने 59वें जन्मदिन पर बांद्रा में अपने फैन क्लब द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में फैंस के साथ यह बात शेयर की. शाहरुख एक वीडियो में कहते नजर आ रहे हैं कि यह एक अच्छी बात है कि मैं धूम्रपान नहीं करता दोस्तों. मुझे लगा कि धूम्रपान छोड़ने के बाद मुझे सांस लेने में तकलीफ नहीं होगी. लेकिन मुझे अभी भी ऐसा महसूस होता हैं. इंशाअल्लाह, यह भी ठीक हो जाएगा.
स्मोकिंग छोड़ने से लॉन्ग टर्म स्वास्थ्य लाभ होते हैं
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक धूम्रपान छोड़ने से लॉन्ग टर्म फायदे मिलते हैं. भले ही कोई व्यक्ति कितने भी समय से धूम्रपान कर रहा है. शाहरुख ने यह निर्णय इस निर्णय का मतलब उनके एनर्जी लेवल को दर्शाता है. फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है. शोध इस बात का समर्थन करते हैं कि जो लोग धूम्रपान छोड़ देते हैं, जीवन में बाद में भी, स्ट्रोक, दिल के दौरे और पुराने संक्रमण जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम कम हो जाता है. धूम्रपान छोड़ने वाले वृद्ध लोगों को समय के साथ फेफड़ों की क्षमता बेहतर होती है, हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है और दूसरी गंभीर समस्याओं से निजात मिलता है.
स्मोकिंग छोड़ने से सांस से जुड़ी समस्या ठीक होती है
हालांकि लंबे समय तक धूम्रपान करने के कुछ प्रभाव जैसे कि फेफड़ों में जख्म और कुछ हृदय संबंधी परिवर्तन. पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकते हैं. लेकिन डॉ. सिंघानिया शरीर की अन्य तरीकों से ठीक होने की अविश्वसनीय क्षमता को रेखांकित करते हैं. धूम्रपान छोड़ने के कुछ घंटों के भीतर ब्लड सर्कुलेशन में कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर कम हो जाता है.
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जिससे ऑक्सीजन का लेवल नॉर्मल हो जाता है. कुछ हफ़्तों या महीनों में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है. सांस लेने की नली में सूजन कम होती है और सांस से जुड़ी समस्या कम होती है. धूम्रपान छोड़ने से ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है. जिससे गतिशीलता और शारीरिक सहनशक्ति बढ़ती है.
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पिछले कुछ सालों में, कैंसर, विशेष रूप से फेफड़े और गले के कैंसर के विकास का जोखिम काफी कम हो गया है. हालांकि यह किसी ऐसे व्यक्ति के जोखिम स्तर तक नहीं पहुंच सकता है जिसने कभी धूम्रपान नहीं किया है. अध्ययनों से पता चलता है कि पूर्व धूम्रपान करने वालों में पुरानी बीमारियों के लिए दवाओं पर निर्भरता भी कम होती है. मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली होती है जो संक्रमणों से बेहतर तरीके से लड़ सकती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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