नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जहां मासिक धर्म जैसे विषयों पर दबे स्वर में चर्चा होती है, ऐसे में इस विषय पर लड़कियों से ज्यादा लड़कों को संवेदनशील बनाना समय की जरूरत है.
नेशनल मेंस्ट्रुअल कांक्लेव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सिसोदिया ने लड़के और लड़कियों में समान तरीके से मासिक धर्म और इससे जुड़ी साफ-सफाई के विषयों पर जागरूकता लाने के लिए शिक्षा प्रणाली की भूमिका को रेखांकित किया.
उन्होंने कहा, ‘‘स्कूल चारदीवारी वाली जगह बन गये हैं जहां बच्चे केवल शिक्षा ग्रहण करते हैं. लेकिन स्कूल ऐसे मुद्दों को सामान्य बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं जो पिछले कुछ सालों में समाज में बातचीत के लिहाज से वर्जित से हो गये हैं.’’
सिसोदिया के मुताबिक, ‘‘यह हमारी संवादहीनता को दर्शाता है जिसमें एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया को भी वर्जित बना दिया गया है. इस बारे में लड़कियों से ज्यादा लड़कों को शिक्षित करने की जरूरत है. ताकि लड़कियां और महिलाएं अपने चारों ओर एक सहयोग का माहौल महसूस कर सकें और अलग-थलग महसूस नहीं करें.’’
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के विषयों पर सामान्य माहौल बनाने के लिए स्कूली शिक्षा प्रणाली में और सोच में आमूल-चूल परिवर्तन की दरकार है.
सिसोदिया ने कहा, ‘‘कोई अभियान तभी सफल होगा जब इस मुद्दे पर ध्यान देने के लिए हमें इस तरह के और अभियानों और एनजीओ की जरूरत ही नहीं पड़े. यह समाज के प्रत्येक सदस्य की सकारात्मक और रचनात्मक भागीदारी से ही संभव होगा.’