Naegleria Fowleri: दुनिया के कई देशों में तबाही मचा रही कोरोना महामारी के बीच अब दक्षिण कोरिया से एक डराने वाली बीमारी सामने आई है. कोरिया में दिमाग को खोखला कर देने वाली एक बीमारी का पता चला है. एक 50 साल के व्यक्ति में यह बीमारी पाई गई है, जिसकी गुरुवार को मौत हो गई. यह शख्स हाल ही में थाईलैंड से दक्षिण कोरिया लौटा था. लौटने के बाद उसे सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बोलने में कठिनाई और गर्दन में अकड़न जैसे लक्षण दिखाई दिए, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया.
हालांकि अगले दिन ही उसकी मौत हो गई. यह बीमारी काफी खतरनाक है, जो नेगलेरिया फाउलेरी नाम के एक अमीबा से फैलती है. इसे 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' भी कहा जाता है, क्योंकि ये धीरे-धीरे करके दिमाग को खोखला बना देती है. अमेरिकी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, नेगलेरिया फाउलेरी यूनिसेल्यूलर अमीबा है, जो मिट्टी और वॉटर बॉडीज़ जैसे कि नदी, झील, झरना आदि में रहता है. इस अमीबा की कोई सेल वॉल नहीं होती.
कैसे शरीर में प्रवेश करता है अमीबा?
ब्रेन-ईटिंग अमीबा जिसे नेगलेरिया फाउलेरी के नाम से जाना जाता है, यह जीनस नेगलेरिया की एक प्रजाति है. कोच्चि के अमृता अस्पताल के डॉक्टर दीपू टीएस ने बताया कि नेगलेरिया फाउलेरी लोगों को तब संक्रमित करता है, जब लोग किसी गंदे पूल, तालाबों, पोखरों या नदी में नहाने के लिए उतरते हैं. अमीबा नामक जीवाणु से युक्त पानी नाक के जरिए जब शरीर में प्रवेश करता है तो इसके साथ-साथ 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' भी शरीर में प्रवेश कर जाता है, जिसके बाद व्यक्ति में इसके प्रभाव देखे जा सकते हैं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि नेगलेरिया फाउलेरी संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता.
क्या हैं लक्षण?
अब आइए दिमाग खाने वाले अमीबा के संकेतों और लक्षणों के बारे में भी विस्तार से जान लें. दरअसल, Naegleria Fowleri नाक के माध्यम से दिमाग तक पहुंचता है. इसके बाद ये मस्तिष्क को प्रभावित करना शुरू करता है. इस बीमारी को प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) भी कहा जाता है, जो दिमाग के टिशूज़ को नष्ट कर देता है. PAM के पहला लक्षण आमतौर पर बीमारी से ग्रसित हो जाने के लगभग 5 दिन बाद दिखाई देना शुरू होता है. हालांकि ये 1 से 12 दिनों के अंदर भी शुरू हो सकता हैं. इसके शुरुआती लक्षण- सिरदर्द, बुखार, जी मिचलाना या उल्टी आना हैं. जबकि बाद में इसके लक्षणों में- गर्दन का अकड़ना, बोलने में कठिनाई होना, लोगों और परिवेश पर ध्यान न देना, कनफ्यूज़न होना और कोमा आदि शामिल हो सकते हैं. 'ब्रेन ईटिंग अमीबा' के लक्षण दिखने के बाद ये बीमारी तेजी से फैलती चली जाती है. ये बीमारी 5 दिनों के भीतर भी मृत्यु का कारण बन सकती है और इससे ज्यादा समय भी ले सकती है.
क्या है इलाज?
जैसा कि प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस एक दुर्लभ बीमारी है और यह होने के बाद तेजी से फैलती चली जाती है, इसलिए इसके प्रभावी इलाज के विकल्पों पर अभी पूरी तरह से रिसर्च नहीं की गई है. इस बीमारी के लिए अभी कोई पुख्ता इलाज या दवा भी नहीं है. हालांकि इसका इलाज फिलहाल उन दवाओं से किया जा रहा है, जिनमें एंटीबायोटिक्स एंटीफंगल और एंटि-पैरासिटिक का क़ॉम्बिनेशन है. मिल्टेफोसिन इन दवाओं में सबसे नया है.