कैंसर का पता लगाने की तकनीक में महत्वपूर्ण सफलता, 100 फीसद प्रभावी होने का दावा
नैनो तकनीक वैज्ञानिक विनय कुमार त्रिपाठी और उनके परिवार के नेतृत्व में मुंबई के एपिजेनियर्स बायोटेक्नोलॉजी और सिंगापुर के जार लैब्स ने अपने नतीजों को प्रकाशित किया है. बर्लिन के बाहर समीक्षा पत्रिका में 100 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया गया है. दोनों कंपनियों के प्रबंधन में डॉक्टर त्रिपाठी के बेटे आशीष और अनीश शामिल हैं. कैंसर का जल्दी पता लगानेवाली तकनीक का नाम एचआरसी टेस्ट रखा गया है.
![कैंसर का पता लगाने की तकनीक में महत्वपूर्ण सफलता, 100 फीसद प्रभावी होने का दावा Breakthrough in the early detection of cancer, technology claims 100 per cent efficacy कैंसर का पता लगाने की तकनीक में महत्वपूर्ण सफलता, 100 फीसद प्रभावी होने का दावा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/05/10/8835b91ad8d5870d8535eb1723eccf88_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कैंसर का शुरुआती पता लगाने में भारतीय जैव प्रौद्योगिक पहल को असाधारण सफलता मिलने का दावा किया गया है. उम्मीद है कि बीमारी के मूल्यांकन को अप्रत्याशित रूप से तेज कर सकती है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी बच जाएगी. इस साल के अंत तक नियामकों की तरफ से हरी झंडी मिलने की उम्मीद है. नैनो तकनीक वैज्ञानिक विनय कुमार त्रिपाठी और उनके परिवार के नेतृत्व में मुंबई के एपिजेनियर्स बायोटेक्नोलॉजी और सिंगापुर के जार लैब्स ने अपने नतीजों को प्रकाशित किया है. बर्लिन के बाहर समीक्षा पत्रिका में 100 प्रतिशत प्रभावी होने का दावा किया गया है. दोनों कंपनियों के प्रबंधन में डॉक्टर त्रिपाठी के बेटे आशीष और अनीश शामिल हैं. उन्होंने एक समाचार चैनल को बताया कि 1,000 लोगों पर किया गया मानव परीक्षण 25 प्रकार के कैंसर की पहचान करने में सक्षम था और बीमारी के साथ एक सबसे बड़ी चुनौती यानी इलाज के लिए उसके सही समय का पता लगाना हल हो गया.
कैंसर के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि मिलने का दावा
आशीष त्रिपाठी ने कहा, "हम इस तकनीक को पहले भारत लाने का इरादा रखते हैं और हमारा उद्देश्चय साल के अंत तक सामने लाने का है. निश्चित रूप से ये जरूर कुछ है जिसे मान्यता मिलने की जरूरत है और हम देश में सही पक्षों से बात कर रहे हैं." उन्होंने आगे बताया कि उनकी तकनीक किसी भी प्रकार के कैंसर का पता लगा सकती है. करीब 180 प्रकार के कैंसर हैं जिसकी जानकारी लोगों को है. 25 का जिक्र किया गया है (पहले प्रकाशित पेपर में) क्योंकि वो कैंसर की संख्या थी जो मानव परीक्षण में शामिल थी.
उनके भाई अनीश त्रिपाठी बताते हैं कि जांच करना बहुत आसान है क्योंकि ये कैंसर के लक्षण जाहिर होने से वर्षों पहले संकेत की पहचान कर सकता है. नतीजे आने में वर्तमान समय में 3-4 दिन लग जाते हैं लेकिन स्वचालन प्रगति उसे घटाकर 2 दिन कर सकता है. अनीश त्रिपाठी का कहना है कि अधिकतर जांच या टेस्ट आक्रामक होते हैं, लेकिय ये बहुत साधारण टेस्ट है. आप ब्लड टेस्ट के लिए जाते हैं, ये गैर आक्रामक है. आप अपने ब्लड का 5 मिलीलीटर सैंपल देते हैं, और हम उस पर टेस्ट करते हैं.
जल्दी पहचान से समय पर होगा लोगों का इलाज
कीमत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "हम उसे बहुत कम रखने जा रहे हैं. यही कंपनी की नीति है. हम चाहते हैं कि ये टेस्ट हर शख्स को उपलब्ध हो और हम उसे किफायती चाहते हैं. महत्वाकांक्षा एक ऐसी दुनिया है जहां हम सभी को सिर्फ एचआरसी टेस्ट कराने की आवश्यकता साल में मात्र एक बार होगी और हम कैंसर को प्रथम चरण या उससे पहले पकड़ लेंगे." आशीष और अनीश सर्वोश्रेष्ठ लेखक अमीश त्रिपाठी के भाई हैं. उन्होंने ट्विटर पर उनकी उपलब्धि को सराहा है.
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