नई दिल्लीः  कई बार ऐसी कंडीशन होती है कि महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर या अन्य कारणों की वजह से ब्रेस्ट इंप्‍लांट करवाना पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं ब्रेस्ट इंप्लांट करने से महिलाओं को ना सिर्फ रेयर तरीके का कैंसर हो रहा है बल्कि उनकी मौत भी हो रही है. जी हां, हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रेस्ट इंप्लांट से एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL) कैंसर हो रहा है जो कि बहुत रेयर है. जानिए, क्या है ये कैंसर, इसके लक्षण, ट्रीटमेंट और रिपोर्ट्स के बारे में.


क्या है एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL)-  
एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा बाकी लिंफोमा की तरह ही रेयर टाइप नॉन हॉग्किन लिंफोमा होता है. ये लिफैटिक सिस्टम में कैंसर होता है जो कि बॉडी के इम्यून सिस्टिम का पार्ट है. ये तब डेवलप होता है जब व्हाइट ब्लड सेल्स जिन्हें टी-सेल लिंफोसिटिक्स कहते हैं, अनकंट्रोल्ड वे में डिवाइड हो जाते हैं. ये बॉडी के कई पार्ट्स में जैसे लिंफ नोड्स, लंग्स और स्किन में बिल्डअप हो जाते हैं. कुछ लोगों को बॉडी के उस पार्ट में भी होता है जहां लिंफोमा के सिम्टम्स होते हैं.


एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL) के लक्षण-




  • थकान होना

  • वजन कम होना

  • भूख कम लगना

  • रात में पसीना आना

  • बॉडी का टम्प्रेचर हाई होना


एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL) का इलाज-




  • ये बहुत जल्दी ग्रो करता है ऐसे में कीमोथेरपी तुरंत लेनी चाहिए.

  • कई लोग रेडियोथेरेपी या फिर स्टेम सेल ट्रांसप्लांट भी करवा सकते हैं.

  • ये कीमोथेरपी के जरिए अच्छे से दूर किया जा सकता है. कई बार ये वापिस भी आ जाता है और इसको कंट्रोल करने के लिए बाद में भी ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है.


ब्रेस्ट इंप्लांट से होता है एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा कैंसर-


ब्रेस्ट इंप्लांट से होने वाला ये रेयर तरीके का कैंसर हो सकता है. इस बात की पुष्टि नेशनल रेगुलेटर ने 9 महिलाओं की डेथ के बाद की है. सभी महिलाएं यूएस की थी, सभी में एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL) पाया गया. ये रेयर टाइप नॉन हॉग्किन लिंफोमा होता है इसमें इम्यून सिस्टम बॉडी पर खुद पर ही अटैक करने लगता है. इन महिलाओं की डेथ को ब्रेस्ट इंप्लांट से जोड़कर देखा जा रहा है. द यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने देशभर में 359 मामलों के साथ इस केस को स्वीकार किया है.


6 साल पहले इस कैंसर के बारे में बताया था डब्ल्यूएचओ ने-
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा 6 साल पहले इंप्लांट और कैंसर के बीच लिंक के बारे में पॉसिबिलिटीज बताई गईं थीं.


एफडीए ने भी डब्ल्यूएचओ की बात को दी सहमति-
एफडीए ने अपने स्टे‍टमेंट में कहा है कि 2011 से हमने अब तक इस कंडीशन को समझने में खुद को मजबूत किया है और वर्ल्ड हेल्थ  ऑर्गनाइजेशन से हम सहमत हैं कि ब्रेस्ट इंप्लांट करवाने से एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL) जो कि रेयर टी-सेल लिंफोमा की वजह से होता है, डवलप हो जाता है.
जो महिलाएं ब्रेस्ट इंप्लांट करवा चुकी हैं इनमें बहुत कम लेकिन ALCL डवलप होने का रिस्क रहता है बजाय उन महिलाओं के जिन्होंने ब्रेस्ट इंप्लांट नहीं करवाया है.


एफडीए का कहना है कि अधिकत्तर मामलों में ALCL डवलप होने की पुष्टि हुई है. एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि इससे ये पता चलता है कि ये रेयर कंडीशन महिलाओं में बहुत ज्यादा देखी जा रही है.


दो तरह के ब्रेस्ट इंप्लांट-
इंप्लांट फिलर टाइप कौन सा है इससे भी अलग-अलग तरह के कैंसर का रिस्क है. मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, 186 महिलाओं में ब्रेस्ट  सिलिकॉन जेल से फिल की गई हैं और 126 की सैलिन फिलर से.


एफडीए का कहना है कि एक्जैक्ट नंबर कैलकुलेट करना बहुत डिफिकल्ट है. 1 फरवरी 2014 में एफडीए के पास 359 ऐसे ब्रेस्ट इंप्लांट केस आएं जिनमें ALCL डवलप हो चुका था. इनमें नौ डेथ भी शामिल थी.


यूएस में ब्रेस्ट इंप्लांट को है मान्याता-
यूएस में सैलिन और सिलिकॉन जेल फिलर से ब्रेस्ट इंप्लांट को अप्रूवल मिला हुआ है. ये अलग साइज और शेप में आते हैं. ये या तो स्मूथ होते हैं या फिर इनका टेक्चर्ड सरफेस होता है.


अधिकत्‍तर मामलों में इंप्लांट को रिमूव किया गया है लेकिन कुछ मामलों में कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी की जरूरत पड़ रही है.


ऑस्ट्रेलिया ने भी स्वीकारा इस कैंसर को-
दिसंबर में ऑस्ट्रेलिया के थेरप्यूटिक गुड्स एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में 46 ऐसे ब्रेस्ट इंप्लांट के मामले दर्ज किए गए जिनमें एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा (ALCL) डेवलप हो चुका था. इनमें तीन डेथ भी शामिल थी.


दो साल पहले फ्रांस ने भी माना-
फ्रांस के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने दो साल पहले चेताया था कि सिलिकॉन जेल इंप्लांट से एनाप्लास्टिक लार्ज-सेल लिंफोमा का खतरा है.
ब्रेस्ट इंप्लांट में कैंसर के रेयर मामले होने पर इंस्टीट्यूट ने कहा कि इंप्लांट को रिमूव करने की जरूरत नहीं है.