40 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग टेस्ट शुरू कर दी जाए तो ज्यादा महिलाओं की जान बचाई जा सकती है. ब्रिटेन में एक लाख 60 हजार महिलाओं पर शोध के बाद खुलासा हुआ है.
महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की टेस्टिंग कब कराना चाहिए?
शोधकर्ताओं ने लांसेट पत्रिका में लिखा है कि अगर 40 साल की उम्र से टेस्टिंग शुरू कर दी जाए तो मौत के आंकड़ों में कमी लाई जा सकती है. 40-49 साल की उम्र में जिन 53 हजार 883 महिलाओं के टेस्ट किए गए उनमें से 83 महिलाओं की मौत हो गई. जबकि एक लाख 6 हजार 953 टेस्ट नहीं करानेवाली महिलाओं में 219 की जान चली गई. शोधकर्ताओं का कहना है कि 10 साल के बाद अतिरिक्त जिंदगी के बचने के सबूत कम पाए गए. यानी स्क्रीनिंग दस साल पहले हो जाती तो जल्द इलाज की वजह से ज्यादा जिंदगियों को बचाया जा सकता था.
40 साल की उम्र में स्क्रीनिंग टेस्ट से बचाई जा सकती है जान
उन्होंने बताया कि स्क्रीनिंग की उम्र में कमी कर टेस्ट की जानेवाली हर एक हजार महिलाओं में से कम से कम एक की जान बचाई जा सकती है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि इस सिलसलि में अतिरिक्त टेस्टिंग के लिए जरूरी संसाधन समेत अन्य कारक भी अहमियत रखते हैं. कैंसर रिसर्च ब्रिटेन ने बताया कि अभी ये पूरी तरह साफ नहीं है कि ब्रेस्ट कैंसर की होनेवाली स्क्रीनिंग में उम्र कम करने से मौजूदा तरीका कितना फायदेमंद रहेगा. ब्रिटेन में 50 से 70 साल की उम्र की महिलाओं का हर तीन साल में एक ब्रेस्ट कैंसर का टेस्ट किया जाता है.
50 साल से कम उम्र की महिलाओं को मुफ्त सुविधा मुहैया नहीं है क्योंकि आम तौर पर उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का फीसद कम होता है और उनके ब्रेस्ट का टिश्यू सख्त होने के कारण नतीजे मालूम करना काफी मुश्किल होता है. इसके चलते गलत पहचान का खतरा हो जाता है. शुरुआती चरण में कोशिकाओं में तब्दीली को भी कैंसर मान लिया जाता है.
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