Breast Cancer : अक्टूबर ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस का महीना है. ये कैंसर काफी खतरनाक और जानलेवा है. WHO के मुताबिक, साल 2022 में दुनियाभर में इस कैंसर से 6,70,000 मौतें हो गई थीं। इनमें से 99% से ज्यादा मामले महिलाओं में पाए गए थे. अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की एक स्टडी में पता चला है कि 2012 से 2021 तक 50 से कम उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के केस में सालाना 1.4% का इजाफा हुआ है. एक अध्ययन के मुताबिक, अमेरिका में 20 साल की लड़कियां भी अब इस कैंसर की चपेट में आ रही हैं. ऐसे में जानिए भारत का क्या हाल है...


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20 साल की लड़कियों में ब्रेस्ट कैंसर




JAMA नेटवर्क ओपन में पब्लिश रिसर्च के अनुसार, यूएस में 20 से 49 साल की महिलाओं में तेजी से ब्रेस्ट कैंसर फैल रहा है. शोध टीम ने 2000 से 2019 तक ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित 217,000 से ज्यादा अमेरिकी महिलाओं के डेटा एनालिसिस किया. 2000 में, 20 से 49 साल की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की घटना हर 100,000 लोगों पर करीब 64 मामले थी.


अगले 16 सालों में यह रेट बढ़कर सालाना करीब 0.24% हो गई. 2016 तक हर एक लाख पर 66 केस ब्रेस्ट कैंसर के मिले लेकिन इसके बाद इसमें काफी ज्यादा तेजी आ गई. अचानक से बढकर यह रेट 3.76% सालाना हो गई. 2019 तक यानी सिर्फ तीन साल में ही यह रेट हर 1 लाख पर 74 तक पहुंच गई. 




अश्वेत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा




सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दो दशकों में 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ा है. डेटा का एक दिलचस्प पहलू ये भी सामने आया है कि अश्वेत महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) का जोखिम काफी ज्यादा है. खासकर 20 से 29 साल की अश्वेत महिलाओं में बाकियों की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 53% अधिक है.


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भारत में ब्रेस्ट कैंसर का हाल




साल 2018 में भारत में ब्रेस्ट कैंसर के कुल 1,62,468 केस सामने आए थे. इनमें से 87,090 महिला पीड़ितों की मौत हो गई. भारत में ब्रेस्ट कैंसर से बचने का रेट 60% है, जो अमेरिका से 20% कम है. देश में स्तन कैंसर शहरों ही नहीं ग्रामीण इलाकों में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में भी कम उम्र की महिलाएं इस कैंसर की चपेट में आ रही हैं. इलाज में देरी के चलते मौत का खतरा भी बढ़ रहा है. इस कैंसर के बढ़ने की सबसे बड़ी वजहों में तंबाकू, शराब, मोटापा, गलत लाइफस्टाइल और प्रदूषण है.




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