National Cancer Awareness Day 2023: ब्रेस्ट कैंसर वह कैंसर है जो ब्रेस्ट की टिश्यूज में बनता है. त्वचा कैंसर के बाद ब्रेस्ट कैंसर 'संयुक्त राज्य अमेरिका' में महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम कैंसर है. भारत में भी यह कैंसर औरतों को होने वाले कैंसर में आम है. ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों और महिलाओं दोनों में हो सकता है, लेकिन महिलाओं में यह कहीं अधिक आम है.ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता और अनुसंधान निधि के लिए पर्याप्त समर्थन ने स्तन कैंसर के निदान और उपचार में प्रगति करने में मदद की है. स्तन कैंसर से बचने की दर में वृद्धि हुई है, और इस बीमारी से जुड़ी मौतों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण पहले से पता लगाना, उपचार के लिए एक नया व्यक्तिगत दृष्टिकोण और बीमारी की बेहतर समझ जैसे कारक हैं.


कारण
डॉक्टरों को पता है कि स्तन कैंसर तब होता है जब ब्रेस्ट के कुछ टिश्यूज असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं. ये कोशिकाएं स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ती है और जमा होती रहती है. जिससे एक गांठ या लिक्विड निकलने लगता है. कोशिकाएं आपके स्तन से होते हुए आपके लिम्फ नोड्स या आपके शरीर के अन्य भागों में फैल सकती हैं जिसे (मेटास्टेसिस) कहते हैं. 


स्तन कैंसर अक्सर दूध बनाने वाली नलिकाओं (इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा) में कोशिकाओं से शुरू होता है. स्तन कैंसर लोब्यूल्स (इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा) नामक ग्रंथि ऊतक या स्तन के भीतर अन्य कोशिकाओं या ऊतक में भी शुरू हो सकता है.


शोधकर्ताओं ने हार्मोनल, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों की पहचान की है जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों में कोई जोखिम कारक नहीं है उनमें कैंसर क्यों विकसित होता है.


ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण कुछ ऐसे होते हैं


डॉक्टर प्रशांत बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर किसी भी उम्र की महिला या लड़की को हो सकता है. लेकिन अगर आप सेल्फ एग्जामिन करते रहें तो इस बीमारी का पता समय रहते चल सकता. खासकर महिला पीरियड्स के बाद महीने में एक बार खुद से ब्रेस्ट का सेल्फ एग्जामिन जरूर करें. आपको ब्रेस्ट में कहीं भी सख्त लंप्स दिखाई दे तो बिना समय गवाएं डॉक्टर से जरूर कॉन्टैक्ट करें. ब्रेस्ट कैंसर को लेकर अक्सर महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल रहते हैं. भारत में लगभग 5 से 10 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. 


आजकल लोगों को कैंसर की बीमारी को लेकर ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जा रहा है. ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप बीमारी से जरूरी डरिए लेकिन इलाज से नहीं.  


ब्रेस्ट कैंसर के टाइप्स


इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा


इसमें कैंसर कैंसर के सेल्स ब्रेस्ट के टिश्यूज के बाहर भी फैल सकती है.  और यह बॉडी के दूसरे पार्ट में भी फैल सकती है. 


इनवेसिव लोबुलर कार्सिनोमा


 कैंसर कोशिकाएं लोब्यूल्स से ब्रेस्ट के टिश्यूज तक फैलती हैं जो कि बगल में होती हैं. ये शरीर शरीर के दूसरे ऑर्गन में भी फैल सकती है. 


ब्रेस्ट कैंसर के कारण 


महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने के कई कारण हो सकते हैं:


जेनेटिक- फैमिली हिस्ट्री


डॉक्टर प्रशांत पांडेय बताते हैं कि ब्रेस्ट कैंसर में फैमिली हिस्ट्री एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. ब्रेस्ट कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो अगर आपकी फैमिली में किसी को है तो आपको होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. 


पीरियड्स में बदलाव


महिलाओं को इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि उनके पीरियड्स में अगर किसी भी तरह का बदलाव दिखाई दे रहा है तो उन्हें बिना समय गवाएं डॉक्टर से तुरंत कॉन्टैक्ट करना चाहिए. यदि किसी लड़की को पीरियड्स 12 साल की उम्र से पहले शुरू होता है या 53 या 55 के बाद उन्हें मेनोपॉज होता है तो ऐसी स्थिति में उन महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. 


जिन महिलाओं की ब्रेस्ट की साइज ज्यादा है


जिन महिलाओं की ब्रेस्ट साइज ज्यादा है उन्हें भी थोड़ा संपर्क रहना चाहिए ऐसी महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने के चांसेस बढ़ जाते हैं. 


क्या शराब और सिगरेट पीने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा होता है?


इस सवाल के जवाब में डॉक्टर बताते हैं कि जो महिलाएं या लड़कियां शराब, सिगरेट या ड्रग्स लेती हैं तो उन्हें ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है. 


ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण


शुरुआत में ब्रेस्ट कैंसर के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. हालांकि सबसे आम संकेत है ब्रेस्ट में गांठ होना. इसके अलावा इन लक्षणों पर भी ध्यान दें.


ब्रेस्ट में गांठ महसूस होना. दबाने पर इस गांठ में दर्द नहीं होता है. 


ब्रेस्ट के साइज में परिवर्तन होना


ब्रेस्ट के निप्पल से लिक्विड निकलना


अंडरआर्म वाली जगह पर सूजन या गांठ होना


ब्रेस्ट निप्पल्स का लाल या ज्यादा काला होना


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