Bullous Disease: क्या है बुल्ला रोग? जिसमें फेफड़ें गुब्बारेनुमा होकर खोखले हो जाते हैं
बुल्ला रोग फेफड़ोें का एक गंभीर रोग है. इसमें लंग्स की दीवारें बेहद पतली हो जाती हैं. खांसने पर इनके फटने तक का खतरा रहता है. समय पर ही इस बीमारी का इलाज बेहद जरूरी है.
Lungs Disease: धुम्रपान से कैंसर हो सकता है. धुम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है. ये लाइनें अंग्रेजी और हिंदी दोनों में लिखी हुई आपने देखी होंगी. हर सिगरेट के पैकेट पर बेहद बोल्ड अक्षर में ऐसी ही वार्निंग लिखी होती हैं. लेकिन लोग इन वार्निंग को नजरअंदाज कर सिगरेट और बीड़ी पीते रहते हैं. कई लोग तो चैनस्मोकर हो जाते हैं. एक सिगरेट नहीं छूटती कि झट से दूसरी लगा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिगरेट हो या बीड़ी श्वसन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करता है. इससे जहां खांसी जैसी समस्या बन जाती हैं. वहीं, लंग्स का एक गंभीर रोग बुल्ला भी हो जाता है. समय रहते इस रोग की पहचान और इलाज जरूरी है.
क्या होता है बुल्ला रोग?
स्मोकिंग करने वाले लोगों को बुल्ला रोग अधिक होता है. कोई भी व्यक्ति जब लंबे समय तक धुम्रपान करता है तो इसके साइड इफेक्ट के कारण फेफड़े का कोई हिस्सा अपनी मूल संरचना को खो देता है. इसके अलावा फेफड़े में स्थित आक्सीजन का आदान-प्रदान करने वाले ऊतक नष्ट हो जाते हैं. ऐसी कंडीशन में लंग्स का वो पार्ट गुब्बारेनुमा होकर खोखला हो जाता है. लंग्स की दीवारें बहुत अधिक पतली हो जाती हैैं. इसी कंडीशन को बुल्ला रोग कहा जाता है.
दवा भी नहीं करती असर
लंग्स में जब बुल्ला रोग बन जाता है. तो इसे रेस्पायरेटरी सिस्टम बुरी तरह प्रभावित होता है. व्यक्ति सहीं ढंग से सांस नहीं ले पाता है. इस कारण बॉडी के अन्य अंगोें को भी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है. इन्फेक्शन इतना गंभीर हो जाता है कि व्यक्ति की डेली लाइफ तक प्रभावित होने लगती है. कई बार दवा भी असर नहीं कर पाती हैं.
फट भी जाती हैं फेफड़ें की दीवार
बुल्ला रोग चेस्ट का बेहद गंभीर संक्रमण माना जाता है. इसके इलाज में देरी करना बेहद खतरनाक हो सकता है. दरअसल, इस बीमारी के होने पर रोगी को खांसी बहुत अधिक आती है. खांसी आने पर लंग्स पर दबाव पड़ता है. इससे फेफड़ों की दीवारों को फटने का खतरा अधिक रहता है. लंग्स के आसपास की हवा चारों ओर जमा होकर दबाव पैदा करती है. इससे जान जाने तक का खतरा रहता है.
लंग्स कैंसर बनने का रहता है खतरा
इस रोग की चपेट में आने पर भी व्यक्ति यदि स्मोकिंग बंद नहीं करता है तो इससे लंग्स में संक्रमण होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है. फेफड़ें के गुब्बारेनुमा भाग में पस (मवाद) इकट्ठा हो जाता है. इस कंडीशन में लंग्स कैंसर तक होने का खतरा रहता है.
लक्षण और बचाव
इस रोग के होने पर सांस लेने में बहुत अधिक कठिनाई होती हैं. सीनें में दुखन रहती हैं. खांसी अधिक होती है. कई बार खांसी के साथ ब्लड भी आ जाता है. यह स्थिति सीरियसनेस वाली है. इसलिए यदि बुल्ला रोग है तो स्मोकिंग तुरंत छोड़ देनी चाहिए. लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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