Kidney Health: किडनी हमारे शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, किडनी का काम ही होता है शरीर में मौजूद खराब पदार्थ को फिल्टर कर के हटाना ताकि हम किसी रोग से ग्रस्त ना हो पाए, अगर किडनी काम करना बंद कर देता है तो, आप अंदर ही अंदर कई तरह के रोग से ग्रस्त हो जाते हैं, कई बार किडनी फेल होने के चलते व्यक्ति की मौत भी हो जाती हैं, वहीं दुनिया में कई सारे ऐसे भी लोग हैं जिनकी एक किडनी खराब हो जाती है तो वह दूसरे किडनी के सहारे जिंदा रह सकते हैं हालांकि अन्य लोगों के मुकाबले उन्हें बहुत सारे लाइफस्टाइल में बदलाव करने पड़ते हैं. जैसे हमेशा हेल्थी खाना. जंक, शराब, सिगरेट से दूर रहना. वहीं इससे जुड़े एक सवाल जानने के लिए हमेशा लोगों में उत्सुकता होती है, कि क्या हो जब किसी व्यक्ति की दोनों ही किडनी खराब हो जाए? क्या व्यक्ति जिंदा रह पायेगा ?. जानते हैं इस बारे में
क्या बिना किडनी के जीवन संभव है?
Kidney.org के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति की दोनों किडनी खराब हो जाए तब भी व्यक्ति जीवित रह सकता है, हालांकि वह व्यक्ति ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकता. इस दौरान व्यक्ति को बहुत सारे मेडिकल ट्रीटमेंट दवाएं, परहेज, डॉक्टर की सलाह की जरूरत पड़ती है, कोई भी व्यक्ति बिना किडनी के तब तक जिंदा रह सकता है जब तक उसका डायलिसिस होता है, डायलिसिस के जरिए शरीर की तमाम गंदगी को पेशाब और मल के जरिए बाहर निकाला जाता है, जो किडनी का ही मुख्य काम है, बिना डायलिसिस के व्यक्ति लंबे वक्त तक जिंदा नहीं रह सकता.
डायलिसिस के साथ कितने दिन तक जिंदा रहना संभव है?
हेल्थ एक्सपर्ट का मानना है कि डायलिसिस से मरीज की क्षमता पर पूरी तरह से निर्भर करता है, कई बार दोनों किडनी खराब होने के बाद डायलिसिस करवाने वाला व्यक्ति 5 से 10 साल तक जिंदा रह सकता है इसके अलावा जो लोग सही खानपान लेते हैं बड़े जी के साथ चलते हैं वैसे लोग डायलिसिस करवाते हैं तो वह 20 से 25 साल तक जीवित रह सकते हैं.
कितने तरह का होता है डायलिसिस?
होमोडायलिसिस: यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसके तहत शरीर मरीज के खून से खराब पदार्थ पानी और एक्स्ट्रा तरल पदार्थ को बाहर निकालता है. होमो डायलिसिस के दौरान डॉक्टर मरीज के हाथों में एक सुई लगाते हैं और एक पूरी प्रक्रिया को फॉलो करते हुए शरीर की गंदगी को बाहर निकालते हैं.एक होमो डायलिसिस सेशन 4 से 5 घंटे का होता है यह सप्ताह में 3 बार होता है यह एक दिन की ही प्रक्रिया होती है इसके बाद आपको छुट्टी मिल जाती है.
पेरिटोनियल डायलिसिस: इस प्रक्रिया में भी खून को ही साफ किया जाता है. इसमें डॉक्टर मरीज के पेट में प्लास्टिक ट्यूब डाल कर शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालते हैं. पेट में कैथेटर डालने के लिए डॉक्टर शल्य चिकित्सा करते हैं.कैथेटर के माध्यम से पेट के क्षेत्र में डायलिसिस द्रव्य डाला जाता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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