क्या कोरोना के कारण भी हो सकता है डायबिटीज? जानिए अपने स्वास्थ्य से जुड़ी अहम बातें
अमेरिका, ब्रिटेन और चीन में हजारों मामलों पर रिसर्च से पता चला कि कुछ लोगों को कोविड-19 संक्रमण के दौरान या बाद में डायबिटीज का रोग हुआ. शोधकर्ताओं का कहना है कि संयोग से डायबिटीज की चपेट में आनेवाले लोगों को कोविड-19 से ठीक होने के बाद या इलाज के दौरान शुगर की बीमारी नहीं थी.
पिछले कुछ महीनों से तेजी से डायबिटीज के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है, खासकर ये उन लोगों में आम है जिनका इतिहास कोविड-19 का रहा है. ये खुलासा कई रिसर्च और शोध का केंद्र बन गया है और अब एक प्रमुख चिंता की वजह ये सामने आ रही है कि वायरस का इंसानी शरीर पर खतरनाक नतीजा हो सकता है. हालांकि, इससे पहले कई रिसर्च से पता चला है कि एक या एक से ज्यादा बीमारी वाले लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण का ज्यादा खतरा है और चिह्नित बीमारियां संक्रमण से ठीक होने की संभावना को खटाई में डाल सकती हैं. लेकिन, नई रिसर्च से पता चला है कि कई लोगों को डायबिटीज की शिकायत या तो उनके संक्रमण के दौरान या रिकवरी के बाद ज्यादा हो गई है.
अमेरिका में ठीक हो चुके 2700 मरीजों का सर्वे कर पता लगाने की कोशिश की गई. शोधकर्ताओं ने पाया कि उनमें से 14 फीसद में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद डायबिटीज विकसित हुई. उसी तरह, ब्रिटेन और चीन में किए गए करीब 40,000 पर रिसर्च से कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों में समान मुद्दा देखा गया. संयोग से जिन लोगों को कोविड-19 से ठीक होने के दौरान या बाद में डायबिटीज हुआ, उनका इतिहास पहले डायबिटीज का नहीं था. वैज्ञानिक अभी तक ये पता लगाने में सफल नहीं हो सके हैं कि क्यों और कैसे कोविड-19 डायबिटीज की वजह बन सकती है. लेकिन कुछ थ्योरी बताती है कि जिस तरह शरीर के अंदर वायरस का विकास होता है, उससे वजहों को समझने में मदद मिल सकती है.
क्या कोविड-19 की वजह से हो सकता है शुगर?
कोविड-19 मरीज के वायरस को हराने से पहले इम्यून सिस्टम पर व्यापक क्षति की वजह बनता है. दौरान कोरोना वायरस अग्न्याशय सहित कई महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंचाता है, जिससे इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है.
अन्य संभावना ये हो सकती है कि वायरस आंत समेत सेल लाइन को खराब कर सकता है, इस तरह अंगों की ग्लूकोज को तोड़ने और नियंत्रित करने की क्षमता को कमतर करता है.
कुछ विशेषज्ञ इलाज के काम आनेवाली दवाइयों को भी जिम्मेदार ठहराते हैं. दवाइयों का मिश्रण और बहुत ज्यादा प्रयोग हो रहा क्योंकि ये एक नई बीमारी है और कई बार स्टेरॉयड का भी इस्तेमाल किया गया है. ऐसे मामलों में ब्लड में शुगर की बढ़ोतरी हो सकती है.
डायबिटीज टाइप 1 और टाइप 2 के मामले कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों में पाए गए हैं. लिहाजा, मरीजों को कुछ संकेतों पर विशेष ध्यान देने की हिदायत जारी की गई है.
मरीजों को विशेष संकेत को देखने की जरूरत
- चोट या घाव का देर से ठीक होना
- बार-बार पेशाब की जरूरत लगना
- शरीर में झुनझुनी या सिहरन का होना
- थकान की वजह का स्पष्ट नहीं होना
- बहुत ज्यादा भूख और प्यास का लगना
- अचानक से आपको धुंधला दिखाई देना
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