क्या पानी पीने से हार्ट फेल्योर को रोकने में मिल सकती है मदद? आपके लिए हैं ये सुझाव
Drinking Water Reduces Heart Falilure Risk: नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि जिंदगी भर रोजाना 8 ग्लास पानी पीने से 25 वर्षों बाद हार्ट फेल्योर का जोखिम कम हो सकता है.

Drinking Water Reduces Heart Falilure Risk: जिंदगी भर रोजाना पर्याप्त पानी पीने से हार्ट फेल्योर का जोखिम कम हो सकता है. ये खुलासा नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट की रिसर्च में हुआ है. उसमें बताया गया कि हाइड्रेशन को ठीक बनाए रखने से हार्ट फेल्योर का जोखिम बढ़ानेवाले बदलावों की रोकथाम या उनकी रफ्तार को धीमा किया जा सकता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि नतीजे बताते हैं कि लोगों को रोजाना तरल की मात्रा पर ध्यान देना चाहिए और कम पीने की सूरत में कदम उठाने चाहिए. लेकिन पानी की मात्रा कितना पर्याप्त हो सकता है?
क्या पानी हार्ट फेल्योर के जोखिम को कर सकता है कम?
विशेषज्ञों ने महिलाओं के लिए तरल की मात्रा करीब 1.6 से 2.1 लीटर और पुरुषों के लिए 2 से 3 लीटर पीने का सुझाव दिया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब लोग कम तरल पीते हैं तो शरीर में सोडियम जमा होने की मात्रा बढ़ती है जिससे हार्ट फेल्योर के विकास में योगदान करने वाली प्रक्रियाएं सक्रिय हो जाती हैं.
हार्ट फेल्योर उस वक्त होता है जब दिल सामान्य तरीके से पंप कर पाने में अक्षम हो जाए. जब एक शख्स को हार्ट फेल्योर होता है, तो शरीर में सेल्स को प्रयाप्त ब्लड नहीं मिल पाता, जो थकान और सांस की कमी का कारण बन सकता है.
खतरे से बचने के लिए हाइड्रेशन ठीक रखने की सलाह
इसको समझने के लिए कि क्या हाइड्रेशन अगले 25 वर्षों में हार्ट फेल्योर का संकेतक हो सकता है, शोधकर्ताओं ने 44 से 66 वर्षीय 15 हजार लोगों को रिसर्च में शामिल किया और 70 से 90 साल की उम्र तक 5 बार सेहत का मूल्यांकन किया गया. प्रतिभागियों को सोडियम के जमाव के मुताबिक 4 समूहों में बाटा गया था. रिसर्च के बाद शोधकर्ताओं ने बताया कि बीच की उम्र में सोडियम का ज्यादा जमाव 25 साल बाद हार्ट फेल्योर का कारण बन सकता है.
उन्होंने खुलासा किया मध्य उम्र में सोडियम की मात्रा में प्रत्येक 1 एमएमओएल प्रति लीटर की बढ़ोतरी 25 वर्षों बाद 11 फीसद हार्ट फेल्योर का खतरा बढाती है. इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन जानलेवा बीमारी से सुरक्षा प्रदान करता है. रिसर्च के नतीजे यूरोपीय सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की कांफ्रेंस में पेश किए गए थे.
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