क्या नॉनवेज ज्यादा खाने से इंसान को कैंसर हो सकता है?
रेड मीट जैसे बीफ, पोर्क, मटन और भेड़ के मांस को नियमित रूप से खाने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. कुछ रिसर्च्स ने इसे प्रोस्टेट कैंसर से भी जोड़ा है.
नॉनवेज दुनियाभर में बड़े पैमाने पर खाया जाता है. दरअसल, इसमें प्रोटीन, विटामिन बी12 और आयरन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. हालांकि, ज्यादा नॉनवेज खाना कई बार सेहत के लिए हानिकारक भी हो जाता है. दरअसल, हाल के वर्षों में इस बात पर शोध हुआ कि नॉनवेज, विशेषकर रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट ज्यादा खाने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. चलिए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं.
क्या कहती है रिसर्च?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) ने साल 2015 में इस पर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में रेड मीट खासतौर से प्रोसेस्ड मीट को कैंसरकारक बताया गया है. आपको बता दें, आईएआरसी ने यह रिपोर्ट 800 से अधिक अध्ययनों की समीक्षा करने के बाद जारी की थी.
रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट
दरअसल, रेड मीट जैसे बीफ, पोर्क, मटन और भेड़ के मांस को नियमित रूप से खाने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. कुछ रिसर्च्स ने इसे प्रोस्टेट कैंसर से भी जोड़ा है. वहीं प्रोसेस्ड मीट- जैसे बेकन, सॉसेज, सलामी और हॉट डॉग को लंबे समय तक खाने से कोलोरेक्टल कैंसर और पेट के कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. दरअसल, प्रोसेस्ड मीट में नाइट्राइट्स और नाइट्रेट्स जैसे रसायनों का उपयोग होता है, जो शरीर में कैंसरकारक नाइट्रोसामाइन्स बना सकते हैं.
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रेड मीट में हीम आयरन
रेड मीट में पाया जाने वाला हीम आयरन (heme iron) कैंसर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. दरअसल, जब रेड मीट को पचाया जाता है, तो यह आयरन कोलन की कोशिकाओं के साथ रासायनिक प्रतिक्रिया करता है, जिससे नाइट्रोसामाइन्स नामक कैंसरकारक यौगिक बन जाते हैं. यह यौगिक डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकता है.
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नाइट्राइट्स और नाइट्रेट्स का इस्तेमाल
दरअसल, प्रोसेस्ड मीट को स्टोर करने के लिए नाइट्राइट्स और नाइट्रेट्स जैसे केमिकलों का उपयोग किया जाता है. ये केमिकल मांस के संरक्षण और स्वाद के लिए होते हैं, लेकिन शरीर में पहुंचने के बाद ये कैंसरकारक नाइट्रोसामाइन्स में बदल सकते हैं. इसके अलावा, प्रोसेसिंग के दौरान हाई टेंपरेचर पर मांस पकाने से हेटरोसाइक्लिक एमाइन्स (HCAs) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन्स (PAHs) जैसे हानिकारक केमिकल भी उत्पन्न हो सकते हैं, जो कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं.
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