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क्या मसालेदार खाना पाइल्स का कारण बन सकता है? इस पर डॉक्टर्स का क्या कहना है?
ऐसा माना जाता है कि मसालेदार खाना ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्यों यह बवासीर का कारण हो सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट से जानेंगे यह सच है या मिथ है.
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ऐसा माना जाता है कि मसालेदार खाना ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्यों यह बवासीर का कारण हो सकता है. हालांकि, मसालेदार खाना पहले से मौजूद बवासीर को बढ़ा सकता है, लेकिन कोई सबूत नहीं है कि मसालेदार खाना इस दर्दनाक मलाशय रोग का कारण बनता है. 'ओन्लीमायहेल्थ' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु के 'सकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल' के पोषण विशेषज्ञ डॉ. रेड्डी ज्योत्सना के मुताबिक मसालेदार खाने से अपच और कभी-कभी पतले मल या दस्त हो सकते हैं. जो मल त्याग को चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं. मसालेदार खाने और बवासीर को लेकर कई सारे मिथ है जिसको लेकर हम इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे.
बवासीर होने के क्या कारण है?
'जॉन हॉपकिंस' मेडिसिन में किए गए एक रिसर्च के मुताबिक बवासीर पुरुषों और महिलाओं दोनों में व्यापक है और दुनिया की लगभग आधी आबादी को 50 वर्ष की आयु तक बवासीर हो जाएगी। डॉ. ज्योत्स्ना ने स्पष्ट किया कि बवासीर मलाशय या गुदा में बढ़ी हुई और सूजन वाली नसें हैं। , अक्सर अत्यधिक दबाव में वृद्धि के कारण होता है। बवासीर के कारण मल त्याग के दौरान खुजली, दर्द और रक्तस्राव जैसे लक्षण हो सकते हैं.
जॉन हॉपकिंस मेडिसिन में किए गए एक रिसर्च के मुताबिक बवासीर पुरुषों और महिलाओं दोनों में अलग-अलग तरीके से होता है. दुनिया की लगभग आधी आबादी को 50 साल की आयु तक बवासीर हो जाएगी. बवासीर मलाशय या गुदा में बढ़ी हुई और सूजन वाली नसें हैं. मसालेदार खाना खाने से पेट पर दबाव पड़ता है. बवासीर के कारण मल त्याग के दौरान खुजली, दर्द और रक्तस्राव जैसे लक्षण हो सकते हैं.
ज्यादा मसाला कॉन्सटिपेशन का कारण बन सकता है
ज्यादा मसालेदार खाना खाने से कॉन्सिपेशन, कब्ज या दस्त, गर्भावस्था, मोटापा का कारण भी हो सकता है. लंबे समय तक बैठे रहने के कारण मोटापा भी बढ़ सकता है. लेकिन डॉक्टर का मानना है कि खराब लाइफस्टाइल, पानी कम पीने के कारण पेट पर दबाव पड़ता है. ज्यादा मसाला खाने से एज भी दिखने लगता है. इसलिए डाइट में ज्यादा से ज्यादा फाइबर शामिल करना चाहिए. जो मल त्याग के दौरान तनाव, लगातार कब्ज या दस्त, गर्भावस्था, मोटापा या लंबे समय तक बैठे रहने के कारण हो सकता है.अन्य जोखिम कारकों में गतिहीन जीवन शैली, पानी का कम सेवन, उम्र बढ़ना और डाइट फाइबर की कमी शामिल है.
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