मेनोपॉज के बाद मां बनने का विचार काफी लोगों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है. मेनोपॉज एक ऐसा दौर होता है जब महिलाओं की प्रजनन क्षमता समाप्त हो जाती है और मासिक धर्म रुक जाता है. इसके बाद प्राकृतिक रूप से गर्भधारण की संभावना बहुत ही कम हो जाती है. लेकिन विज्ञान के क्षेत्र में हो रही उन्नति और नई तकनीकों के आने से अब ये मुमकिन हो सका है कि महिलाएं मेनोपॉज के बाद भी मां बनने का सपना पूरा कर सकें. आइए जानते हैं इसके बारे में ... 


आईवीएफ क्या है और यह कैसे काम करता है?
आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर, एक लैब में मिलाया जाता है. इसके बाद, इस मिलन से बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. यदि महिला का गर्भाशय स्वस्थ है, तो गर्भधारण की संभावना होती है. मेनोपॉज के बाद, महिलाओं के अंडाणु बनने की प्रक्रिया बंद हो जाती है, इसलिए आईवीएफ में या तो महिला के पहले से संरक्षित अंडाणु का इस्तेमाल होता है या फिर डोनर एग्स का सहारा लिया जाता है. 


मेनोपॉज के चरण 



  • पेरिमेनोपॉज: यह मेनोपॉज का शुरुआती चरण है, जिसमें मासिक धर्म अनियमित हो जाता है, लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं होता. इस दौरान प्रजनन क्षमता कम होने लगती है, लेकिन गर्भधारण अभी भी संभव होता है. अगर आप आईवीएफ का विचार कर रही हैं, तो इस समय आपकी सबसे अच्छी संभावना होती है.

  • मेनोपॉज: जब एक साल तक मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो जाता है, तो उसे मेनोपॉज कहा जाता है. इस चरण में, अंडाशय अंडाणु बनाना बंद कर देते हैं और प्राकृतिक गर्भधारण की संभावना खत्म हो जाती है.

  • पोस्टमेनोपॉज: मेनोपॉज के बाद का समय, जिसे पोस्टमेनोपॉज कहा जाता है, तब शुरू होता है जब शरीर ने पूरी तरह से हार्मोनल बदलावों को अपना लिया होता है. इस दौरान प्रजनन क्षमता पूरी तरह से समाप्त हो जाती है. आईवीएफ के जरिए गर्भधारण के लिए इस समय डोनर एग्स का उपयोग किया जाता है. 


एक्सपर्ट्स की राय
एक्सपर्ट्स का मानना है कि मेनोपॉज के बाद मां बनने की प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन अगर महिला का स्वास्थ्य ठीक है और गर्भाशय गर्भधारण के लिए तैयार है, तो आईवीएफ से मां बनने का सपना पूरा किया जा सकता है. हालांकि, उम्र के साथ जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए विशेषज्ञ की सलाह और पूरी जांच के बाद ही इस प्रक्रिया को अपनाना चाहिए. 


क्या है इस प्रक्रिया के फायदे और जोखिम?
आईवीएफ से मां बनने का फायदा यह है कि मेनोपॉज के बाद भी महिलाएं मां बनने का अनुभव ले सकती हैं. लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी होते हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, और समय से पहले प्रसव. इसलिए, यह जरूरी है कि इस प्रक्रिया को अपनाने से पहले महिला पूरी तरह से स्वास्थ्य जांच करवा लें और डॉक्टर से सही मार्गदर्शन प्राप्त करें. 


जरूरी बातें 
मेनोपॉज के बाद भी मां बनने का सपना अब आईवीएफ की मदद से संभव हो सकता है. यह प्रक्रिया नई उम्मीदों का द्वार खोलती है, लेकिन इसके साथ जुड़े जोखिमों और चुनौतियों को समझना भी जरूरी है.  अगर आप भी इस ऑप्शन पर विचार कर रही हैं, तो एक अनुभवी डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत जरूरी है. सही जानकारी और मार्गदर्शन के साथ, यह सपना सच में बदल सकता है. 


 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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