Cancer Drugs: इस राज्य में सस्ती मिल रही है कैंसर की दवाएं, जान लें रेट्स
राज्य सरकार ने जीरो प्रॉफिट लेते हुए 'करुण्या सामुदायिक फार्मेसी' के जरिए महंगी कैंसर की दवाओं को सस्ता में बेचने का फैसला लिया है. राज्य सरकार की तरफ से यह एक सराहनीय कदम है.
केरला के कैंसर मरीजों के लिए बड़ी राहत. राज्य सरकार ने जीरो प्रॉफिट लेते हुए 'करुण्या सामुदायिक फार्मेसी' के जरिए महंगी कैंसर की दवाओं को सस्ता में बेचने का फैसला लिया है. स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने कहा कि 'करुण्या आउटलेट्स' पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट सर्जरी के बाद इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं सहित 800 तरह की दवाओं को प्रॉफिट में जनता को उपलब्ध कराने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद 'करुण्या फार्मेसी' के जरिए बेंची जाने वाली दवाओं की कीमत में और कमी आएगी. जो आमतौर पर 12 प्रतिशत फायदा लेती हैं.
केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने सस्ती दवा पर क्या कहा?
स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने कहा कि इससे मरीजों तक दवाएं पहुंचने में मदद मिलेगी. सरकार राज्य में मिलने वाली कैंसर की दवा में इस तरह के हस्तक्षेप एक निर्णायक फैसला है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह परियोजना 15 जुलाई को प्रत्येक जिला केंद्र में मुख्य करुण्या आउटलेट्स पर शुरू होगी.
करुण्या फार्मेसियां आउटलेट्स में जीरो प्रॉफिट फ्री काउंटर
इन आउटलेट्स में अलग-अलग जीरो प्रॉफिट फ्री काउंटर और परियोजना के प्रबंधन के लिए अलग-अलग कर्मचारी होंगे. फिलहाल 74 करुण्या फार्मेसियां विभिन्न कंपनियों की 7,000 प्रकार की दवाओं को डिस्काउंट के प्राइस में बेच रही हैं. केरल मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (केएमएससीएल), जो दवाइयों की खरीद करता है और करुणा आउटलेट्स के माध्यम से उन्हें सप्लाई करता है, कीमतों में कटौती को लागू करने की योजना बना रहा है.
वर्तमान में 38% से लेकर 93% तक की छूट पर दवाइयां उपलब्ध कराए जाते हैं. इस सरकार के तहत लाभ प्रतिशत 12% से घटकर 8% रह गया है.
जीरो प्रॉफिट दवा बेचने से मरीजों को मिलेगी मदद
इसका उद्देश्य प्रशासनिक व्यय को पूरा करने के बाद लागत को और कम करना है. अधिकारी ने कहा गैर-संचारी रोगों के लिए राज्य नोडल अधिकारी और जिला कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य समन्वयक डॉ. बिपिन के गोपाल ने कहा कि ‘शून्य-लाभ’ मार्जिन से कैंसर मरीजों को मदद मिलेगी क्योंकि इलाज का अच्छा खासा पैसा दवा में खर्च होता है.
डॉ. वी. रामनकुट्टी और डॉ. बी. एकबाल जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ दवाओं की लागत को कम करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप के समर्थक रहे हैं.कोच्चि स्थित ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अजू मैथ्यू द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि देश में लगभग 50% कैंसर मरीज अपने कैंसर की देखभाल के लिए पैसे कि दिक्कत से जूझते हैं. कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है जो आपको आर्थिक तौर पर भी नुकसान पहुंचाती है.
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