‘कैंसर’ जिसका नाम सुनते ही पसीने आने लगते हैं. जिसके बारे में पता चल जाए कि उसे कैंसर जैसी घातक बीमारी है. तो उसके प्रति हम जिंदगी की आस छोड़ देते हैं. ऊपर वाले से उसके स्वास्थ्य लाभ की कामना कर अपने दिल को तसल्ली देते हैं. हालांकि ये जानते हुए भी कि कैंसर के मरीजों का बचना कोई मुश्किल नहीं है. हां, महंगे इलाज की वजह से जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती उनके लिए वैकल्पिक इलाज की व्यवस्था शुरू कर देते हैं. इस उम्मीद में कि शायद बीमारी से छुटकारा मिल जाए. लेकिन अगर आप इलाज के साथ आयुर्वैदिक औषधि का भी सेवन कर रहे हैं तो होशियार हो जाइए. क्योंकि ऐसा करना बजाए फायदा पहुंचाने के नुकसान पहुंचा सकता है.


कई अंतर्राष्ट्रीय शोध में पता चला है कि आपके ऐसा करने से कैंसर की बीमारी ठीक होने की संभावना पर ब्रेक लगा सकता है. इसलिए आप इससे होनेवाले नुकसान के बारे में सचेत रहें. ज्यादा बेहतर होगा आप पहले ही डॉक्टर को बता दें. शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने इस बात का भी पता लगाया है कि आयुर्वैदिक औषधि या क्रीम का इस्तेमाल इलाज में मददगार साबित नहीं होता है.


इलाज के समानांतर आयुर्वैदिक औषधि के नुकसान


एक बात याद रखें किसी भी तरह के कैंसर के इलाज के दौरान आयुर्वैदिक औषधि का प्रयोग ना करें. विशषज्ञों का मानना है कि अदरक, लहसुन या हल्दी इत्यादी का प्रयोग स्किन के घाव भरने की रफ्तार को धीमा कर देता है. इन नुस्खों का इस्तेमाल कीमियोथैरेपी या हारमोन थैरेपी में रूकावट पैदा कर सकता है.


शोधकर्ताओं के मुताबिक उनमें कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो खून जमने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं. जिससे घाव के भरने में ज्यादा समय लगता है. 'कैंसर रिसर्च यूके' का कहना है कि चकोतरा या संतरे का जूस भी इलाज के दौरान ना  लें. क्योंकि इससे कैंसर की दवाइयों के प्रभाव पर नुकसान पहुंचता है. तो, अब से आप हो जाएं सावधान. क्योंकि आपका पैसा और आपका स्वास्थ्य बहुमूल्य है. आप कोई ऐसा अमल न करें जो डॉक्टर की चुनौती को और बढ़ा दे.