Death Rate of Cancer in India: इरफान खान, ऋषि कपूर वो सितारे हैं जिनकी मौत कैंसर(Cancer) से हुई. युवराज सिंह, अनुराग बसु, सोनाली बेंद्रे, मनीषा कोइराला सहित ऐसे तमाम नाम हैं जिन्हें कैंसर हुआ और बेहतर इलाज के दम पर इन्होंने कैंसर को हरा दिया. लेकिन क्या ऐसा इलाज सबको मिल पाता है? क्या आम लोग कैंसर का महंगा इलाज उठाने में सक्षम हैं? ये सवाल सालों से लोगों के सामने हैं. इसलिए मोदी सरकार लगातार कैंसर संस्थानों को लेकर काम कर रही है. इसी क्रम में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) ने हरियाणा(Haryana) और पंजाब(Punjab) में कैंसर अस्पतालों(Cancer Hospital) का उद्घाटन किया है. फरीदाबाद में शुरू होने वाले हॉस्पिटल का नाम है अमृता अस्पताल(Amrita Hospital) और मोहाली में शुरू होगा होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र(Homi Bhabha Cancer Hospital & Research Centre). इस अस्पताल में सर्जरी, रेडियोथेरेपी और मेडिकल ऑन्कोलॉजी, कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मरीजों की दी जाएगी.


अब कैंसर के बारे में खास बात
इसी साल फरवरी में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने लोकसभा में बताया कि साल 2018 से 2020 के बीच देश में कैंसर के 40 लाख केस सामने आए. इनमें से 22.54 लाख लोगों ने अपनी जान गंवा दी. 


- 2020 में 13,92,179 केस सामने आए, इसमें से 7,70,230 लोगों की जान चली गई.
- 2019 में 13,58,415 लोगों को कैंसर हुआ,  7,51,517 की मौत हो गई.
- 2018 में कैंसर के 13,25,232 मामले आए,  7,33,139 की जान की मौत हो गई.


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार साल 2021 में 26.7 मिलियन लोगों को कैंसर हुआ और 2025 तक ये संख्या 29.8 मिलियन (करीब तीन करोड़) तक पहुंच सकती है. WHO के मुताबिक ज्यादा कैंसर होने वाले 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां हैं.


कितने प्रकार के होते हैं कैंसर
कैंसर एक ऐसा रोग है जो किसी भी उम्र में हो सकता है. यह एक साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक में पाया जा सकता है. वैसे तो कैंसर के सौ से अधिक प्रकार हैं लेकिन इनमें स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्रेन कैंसर, बोन कैंसर, ब्लैडर कैंसर, पेंक्रियाटिक कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, गर्भाशय कैंसर, किडनी कैंसर, लंग कैंसर, त्वचा कैंसर, स्टमक कैंसर, थायरॉड कैंसर, मुंह का कैंसर व गले का कैंसर सबसे प्रमुखों में से है. 


कौन लोग होते हैं कैंसर के शिकार
मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति में कैंसर होने की अधिक संभावनाएं होती हैं. कैंसर एक आनुवांशिक बीमारी होने के कारण कई बार कैंसर से पीड़ित माता-पिता के जीन के माध्यम से यह बीमारी उनकी संतान में भी आ जाती है. वहीं दवाओं के साइड इफेक्ट्स की वजह से भी कैंसर होने की बात कही जाती है.  


भारत में कैंसर के शिकार लोग
नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम की एक रिपोर्ट की मानें तो साल 2020 में भारत के भीतर 13.9 लाख लोग कैंसर से पीड़ित थे. अनुमान लगाया जा रहा है कि ये आंकड़ा 2025 तक 15.7 लाख तक पहुंच जाएगा. वहीं पूर्व के आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो वर्ष 1990 के मुकाबले वर्तमान में प्रोस्टेड कैंसर के मामले में 22 प्रतिशत और महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के मामले में 2 प्रतिशत और वेस्ट कैंसर के मामले में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.


एक अनुमान के मुताबिक भारत में 42 प्रतिशत पुरुष और 18 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू के सेवन के कारण कैंसर का शिकार होकर अपनी जान गंवा चुके हैं. राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के एक प्रतिवेदन के अनुसार देश में हर साल इस बीमारी से 70 हजार लोगों की मृत्यु हो जाती है, इनमें से 80 प्रतिशत लोगों के मौत का कारण बीमारी के प्रति उदासीन रवैया है. उन्हें इलाज के लिए डॉक्टर के पास तब ले जाते हैं जब हालात नियंत्रण से बेकाबू हो जाती है.


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