डिप्रेशन के कारण घट रही हैं कैंसर रोगियों की जीवन दर
अगर कोई सिर और गर्दन के कैंसर जैसे खतरनाक रोग से पीड़ित हो तो इससे उस रोगी के अधिक समय तक जीने की संभावनाएं कम हो जाती हैं.
न्यूयॉर्क: डिप्रेशन सामान्य स्वस्थ शरीर को रोगी बना सकता है. वहीं, अगर कोई सिर और गर्दन के कैंसर जैसे खतरनाक रोग से पीड़ित हो तो इससे उस रोगी के अधिक समय तक जीने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि निदान के समय रोगियों में डिप्रेशन की जांच और उससे संबंधित लक्षणों का इलाज किया जाना चाहिए.
क्या कहते हैं शोधकर्ता- यूनिवर्सिटी ऑफ लुइसविले स्कूल ऑफ मेडिसिन से इस अध्ययन की सह-लेखक एलिजाबेथ कैश ने कहा कि शोध के दौरान हमने पाया है कि अगर कोई कैंसर रोगी चार साल तक जीवन जीने वाला है तो डिप्रेशन के कारण वह केवल दो साल ही जाता है और यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए कढ़वी सच्चाई है जो उपचार के दौरान अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.
क्या कहती है रिसर्च- सिर और गर्दन के कैंसर पीड़ितों में डिप्रेशन के लक्षण भी मिलते हैं, जिससे उनके सामने चिकित्सीय दुष्प्रभाव का सामना करने, धूम्रपान छोड़ने, पर्याप्त पोषण या नींद की आदतों को सही रखने की चुनौती खड़ी हो जाती है.
क्यों की गई रिसर्च- क्या डिप्रेशन के लक्षण रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं? यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने सिर और गर्दन के कैंसर से पीड़ित 134 मरीजों का आकलन किया, जिन्होंने अपने इलाज के दौरान डिप्रेशन के लक्षणों की जानकारी दी थी.
रिसर्च के नतीजे- शोधार्थियों द्वारा दो सालों तक मरीजों के चिकित्सीय आंकड़ों के आकलन से पता चला कि अधिक डिप्रेशन पीड़ित रोगियों की जीवन जीने की संभावना भी बहुत कम होती है और उनके कीमोरेडिएशन और बाकी इलाज में भी बाधाएं उत्पन्न होती हैं.
यह शोध 'कैंसर' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.
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