Cardiomyopathy: दिल हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. दिन हो या रात हर वक्त अपना काम करता ही रहता है. अगर गलती से भी ये पल भर के लिए भी काम करना बंद कर दे तो व्यक्ति की मौत हो जाती है. लेकिन फिर भी हम दिल का ठीक से ख्याल नहीं रख पाते हैं और हमें दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी घेर लेती है. ऐसे ही एक बीमारी है कार्डियोमायोपैथी. इस स्थिति की वजह से हमारे शरीर के चारों ओर रक्त पंप करने की दिल की क्षमता प्रभावित होती है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
क्या है कार्डियोमायोपैथी ?
कार्डियोमायोपैथी दिल की मांसपेशियों की एक बीमारी है. इस बीमारी में दिल शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप करने से बाधित होने लगता है. डॉक्टर्स के मुताबिक दिल संबंधी कोई घटना और कुछ दवाएं हमारे दिल की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है. कार्डियोमायोपैथी का शिकार लोगों में ये मांसपेशियां मोटी और ज्यादा सख्त बन जाती है. डॉक्टर बताते हैं कि कार्डियोमायोपैथी कई बार जिंदगी के दौरान विकसित होती है. जिसे एक्वायर्ड कार्डियोमायोपैथी कहा जाता है, तो कई बार यह इन्हेरीटेड कार्डियोमायोपैथी होती है.
कितने प्रकार की होती है कार्डियोमायोमैथी?
डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी-इस में दिल की मांसपेशियों की दीवारें खींची जाती है और पतली हो जाती है. जिसकी वजह से दिल के लिए शरीर के बाकी हिस्सों में खून को पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी- इस स्थिति में दिल का लेफ्ट वेंट्रीकल का आकार बढ़ जाता है. जिसका सीधा असर ब्लड सरकुलेशन पर पड़ता है. ये डिसऑर्डर जेनेटिक म्यूटेशन के कारण हो सकते हैं.हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी दुनियाभर में प्रति 500 व्यक्तियों में से एक की मौत की वजह बनता है.
कार्डियोमायोपैथी के लक्षण
- किसी भी एक्टिविटी के दौरान आराम करते वक्त सांस फूलना
- टांगो टेक्नो और पैरों में सूजन होना
- लेटे समय खांसी होना
- थकान
- दिल में घबराहट होना
- सीने में तकलीफ या दबाव महसूस होना
- चक्कर आना
- पेट में सूजन
कार्डियोमायोपैथी का कारण
- अनियंत्रित या लंबी अवधि की दिल की बीमारी
- हार्टअटैक भी दिल की मांसपेशियों को छतिग्रस्त करता है
- डायबिटीज मोटापा और हाइपोथायरायडिज्म जैसे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर
- दवाओं का साइड इफेक्ट
- कीमोथेरेपी का रिएक्शन होना
- बहुत अधिक शराब का सेवन
क्या है इसका इलाज
कुछ स्थिति में दवाइयों से इसका इलाज किया जाता है. लक्षणों को प्रबंधित करने, हृदय की कार्य क्षमता में सुधार करने और रोग को धीमा करने के लिए कुछ दवाइयां दी जाती है. इन दवाओं में beta-blockers, एंजियोटेंशिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स, एंटीकोगुलेंट शामिल है. वहीं इसके साथ ही लाइफस्टाइल में भी बदलाव करना काफी जरूरी है. संतुलित आहार खाकर भी लक्षणों को कम किया जा सकता है. शारीरिक व्यायाम करना, धूम्रपान ना करना,शराब ना पीना इसमें शामिल है.कुछ मामलों में पेसमेकर या इंप्लांटेबल cardioverter-defibrillator को हृदय गति को सामान्य और कार्डियक अरेस्ट को रोकने के लिए लगाया जाता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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