किसी भी वैक्सीन से साइड इफेक्ट्स होना सामान्य घटना है. ये आपके स्वास्थ्य को किसी भी तरह के जोखिम में नहीं डालती और न ही शरीर पर लंबे समय तक असर होता है. बुखार, थकान, मतली से लेकर शरीर में बदन दर्द तक वैक्सीन के आम साइड इफेक्ट्स हैं. उसके अलावा, कई लोगों को खुजली, लाली, इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन का अनुभव भी हो सकता है, जो एक या दो दिन में खत्म हो जाता है. लेकिन हालिया रिपोर्ट में कोविड वैक्सीन लगवाने के बाद चिंता की बढ़ोतरी का पता चला है.


टीकाकरण के बाद चिंता के मामलों में 10 गुना वृद्धि


साइड इफेक्ट्स का पता लगाने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट कहा गया है कि चिंता के मामले 10 गुना तक बढ़ गए हैं, और ये असर महिलाओं में ज्यादा देखा गया है. रिपोर्ट ये भी बताती है कि कोविड-19 से सुरक्षा के लिए वैक्सीन लगवाने वालों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ रहा है. आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि 12 जुलाई को जारी पहली रिपोर्ट में चिंता के दो मामलों का खुलासा हुआ था, लेकिन दूसरी रिपोर्ट में संख्या बढ़कर 20 हो गई और उनमें 15 महिलाएं शामिल हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि टीकाकरण के बाद चिंता का मामला कोविड-19 की वैक्सीन से नहीं है, बल्कि भ्रांति या गलतफहमी से जुड़ा है. लोगों को लगता है कि उनकी परेशानी के पीछे का कारण वैक्सीन है. वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर निगरानी करनेवाली समिति की ताजा रिपोर्ट बताती है कि अभी तक टीकाकरण से कोई मौत का मामला उजागर नहीं हुआ है. 


गलतफहमी नहीं बल्कि वैक्सीन पर विश्वास है जरूरी


टीकाकरण के बाद अस्पताल में भर्ती 78 मरीजों की समीक्षा की गई, उससे पता चला कि 48 मामलों का संबंध टीकाकरण से था. 48 में से 28 मरीजों की तबियत बिगड़ने के पीछे वैक्सीन प्रोडक्ट्स से जुड़ी प्रतिक्रिया रही, जबकि 20 मरीजों को वैक्सीन लगवाने के बाद चिंता के लक्षण पाए गए और फिर उनको अस्पातल में भर्ती कराना पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक 22 मरीजों में कोविड टीकाकरण का संबंध नहीं पाया गया. डॉक्टरों का कहना है कि महिलाओं को सवालों पर पर्याप्त जानकारी नहीं मिलने की वजह से स्थिति जटिल होती है. इहबास अस्पताल के डॉक्टर ओमप्रकाश का मानना है कि वैक्सीन पर भरोसा रखने से चिंता के मामले लगभग खत्म हो जाते हैं. हां, अगर किसी दबाव की वजह से वैक्सीन लगवाने पर चिंता की आशंका बढ़ जाती है. 



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