(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बच्चों में ADHD रोग का कारण है तनाव
रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग 1.6% से 12.2% तक बच्चों में एडीएचडी की समस्या पाई जाती है.
नई दिल्लीः रिसर्च के अनुसार, भारत में लगभग 1.6% से 12.2% तक बच्चों में एडीएचडी (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) की समस्या पाई जाती है. अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर यानि ध्यान की कमी और अत्यधिक सक्रियता की बीमारी को एडीएचडी कहा जाता है. ADHD की समस्या ऐसे परिवारों में अधिक बिगड़ सकती है जहां घर में तनाव का माहौल रहता है और जहां पढ़ाई पर अधिक जोर देने की प्रवृत्ति रहती है.
कब होता है ADHD- एडीएचडी की समस्या ज्यादातर प्री-स्कूल या केजी तक के बच्चों में होती है. कुछ बच्चों में, किशोरावस्था की शुरुआत में स्थिति खराब हो सकती है. यह व्यस्कों में भी हो सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि एडीएचडी वाले बच्चे बेहद सक्रिय होते हैं और कुछ में बिहेवियरल प्रॉब्लम्स भी होती है. उनकी देखभाल करना और उन्हें कुछ सिखाना मुश्किल हो जाता है. वे स्कूल में भी जल्दी फिट नहीं हो पाते हैं और कोई न कोई शरारत करते रहते हैं. यदि इस कंडीशन को शुरू में ही काबू न किया जाए तो यह जीवन में बाद में समस्याएं पैदा कर सकती हैं.
एडीएचडी का ट्रीटमेंट - हालांकि एडीएचडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन इलाज के लक्षणों को कम करने और ऐसे बच्चों के वर्क स्टाइल में सुधार के उपाय किए जा सकते हैं. एडीएचडी का ट्रीटमेंट मेडिसिन, साइकोथेरेपी, एजुकेशन या ट्रेनिंग से भी किया जा सकता है.
एडीएचडी के लक्षणों को अक्सर तीन श्रेणियों में बांटा जाता है : ध्यान न देना, जरूरत से अधिक सक्रियता और असंतोष.
एडीएचडी वाले बच्चों को इस तरह संभालें-
- एजुकेशन, सपोर्ट और क्रिएटिविटी से ऐसे बच्चों को संभालने में मदद मिलती है.
- एडीएचडी से पीड़ित बच्चों को समय देकर और उनकी हर चीज टाइम टेबल के हिसाब से करने पर मदद मिल सकती है.
- एडीएचडी से पीड़ित बच्चों की बुद्धि या क्षमता का सही से पता नहीं चल पाता है. ऐसे में बच्चे की शक्तियों का पता लगाना चाहिए और बेहतर परिणामों के लिए उनकी क्षमताओं पर ध्यान दें.
- अच्छे काम पर तारीफ करने या इनाम देने से बच्चे के व्यवहार को पॉजिटिव किया जा सकता है.
- यदि ऐसा दिखे कि बच्चा आपा खो रहा है, तो उस पर ध्यान दें और उसे किसी अन्य एक्टिविटी में बिजी कर दें.
- दोस्तों को घर बुलाएं. इससे बच्चे को मिलने-जुलने में आसानी होगी. लेकिन यह सुनिश्चित करें कि बच्चा स्वयं पर नियंत्रण न खोएं.
- अपने बच्चे को अच्छी नींद सोने दें. सोने के समय उसे किसी रोमांचक एक्टिविटी ना उलझने दें.
नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.
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