क्या है Stiff Person Syndrome? जिसकी चपेट में टाइटैनिक फेम कनाडियन सिंगर आ गईं
कनाडा की सिंगर सेलिन डिओन स्टिफ पर्सन सिंड्रोम की चपेट में आ चुकी हैं. यह दुर्लभ बीमारी एक ऑटोइम्यून डिसआर्डर माना जाता है. इसका प्रभाव सीधा ब्रेन पर पड़ता है.
Auto Immune Disorder: साइंस ने जैसे जैसे तरक्की की. ऐसे ही नई नई बीमारियों की खोज होती गई. हर दिन नए वायरस, बैक्टीरियल इन्फेक्शन सामने आ रहे हैं. साइंटिस्ट भी इन बीमारियों की वैक्सीन बनाने में जुटे हैं. कई तरह सिंड्रोमिक डिसआर्डर भी हो रहे हैं. अब एक मशहूर कनाडाई महिला सिंगर सेलीन डायोन ऐसे ही डिसआर्डर की चपेट में आ गई हैं. इसका खुलासा खुद उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पेज पर किया है.
क्या है स्टिफ पर्सन सिंड्रोम
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक (एनआईएनडीएस) के अनुसार Stiff Person Syndrome(SPS) एक ऑटोइम्यून बीमारी से संबंधित दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसआर्डर है. यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, विशेष रूप से मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है. बीमारी में मरीज खड़ा होने में सक्षम नहीं रह पाता है. अधिक अकड़न, परेशान करने वाला दर्द, बैचेनी, मांसपेशियों में ऐंठन शामिल हैं. इस बीमारी में मांसपेशियों में ऐंठन इस कदर हो जाती है कि इससे जोड़ डिसलोकेट होने के साथ हड्डियां टूट भी सकती हैं.
Stiff Person Syndrome के लक्षण जानिए
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीमारी में सबसे पहले धड़ और पेट की मसल्स प्रभावित होती हैं. इनमें कभी अकड़न आती हैं और कभी अकड़न नहीं रहती. बाद में यह अकड़न बनी रहती है. पैरों की मांसपेशियों के बाद बॉडी की अन्य मसल्स में अकड़न शुरू हो जाती है. इसके इलाज में लक्षणों को कम करने का प्रयास किया जाता है. इससे पेशेंट का मूवमेंट बेहतर कर सके. पेशेंट घर से बाहर निकलने से भी डरते हैं क्योंकि सड़क की आवाजें, जैसे हॉर्न की आवाज, ऐंठन और गिरने का कारण बन सकती हैं.
SPS एक दुर्लभ स्थिति क्यों है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि वैज्ञानिकों ने अभी तक यह पता नहीं लगाया है कि एसपीएस के क्या कारण हैं. हालांकि रिसर्च में यह सामने आया है कि मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में एक ऑटोइम्यून डिसीज होने पर यह स्थिति बन जाती है.
क्या यह बीमारी सही हो सकती है?
डॉक्टरों का कहना है कि इस सिंड्रोम के होने के पीछे के सही कारणों की जानकारी नहीं है. इसे आमतौर पर ऑटो इम्यून डिसीज के रूप में देखा जाता है. अधिक शोर, इमोशनली अधिक होने पर यह बीमारी होने लगती है. वहीं, इसके इलाज के लिए दो तकनीक काम करती हैं. पहली गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी हैं.
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