Cervical Cancer की रोकथाम के लिए सरकार शुरू करने जा रही है HPV अभियान, इस उम्र की लड़कियों को दिए जाएंगे वैक्सीन
Cervical Cancer: सर्वाइकल कैंसर मुक्त देश को बनाने के लिए भारत सरकार की मुहैया. 9-14 साल की उम्र वाली लड़कियों को दिए जाएंगे वैक्सीन.
Cervical Cancer: आजकल के समय में महिलाओं के लिए सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) काफी मुसीबत बनी हुई है. इस मुश्किल भरे समय में भारत सरकार ने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. साल 2023 के अप्रैल-मई तक एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमावायरस) वैक्सीन 9-14 साल की लड़कियों के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा. यह राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान साल 2023 में शुरू किया जाएगा. टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (NTAGI) के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस से खास बातचीत में बताया कि उच्चतम स्तर पर राजनीतिक प्रतिबद्धता है. इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि इसे जल्दी से जल्दी पूरे देश में लागू की जाए.
'सीरम+ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' बनाएगी टीका
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए Cervavac नाम का टीका बनाएगा, HPV के चार उपभेदों - 16, 18, 6 और 11 से सुरक्षा प्रदान करता है. SII के सीईओ अदार पूनावाला ने पहले ही कहा था कि वैक्सीन की कीमत 200-400 रुपये पर डोज होगी. वहीं अभी जो सर्वाइकल के वैक्सीन जो मार्केट में उपलब्ध हैं. उन वैक्सीन की कीमत 2,500-3,300 रुपये प्रति डोज है.
97 प्रतिशत लड़कियों को टीकाकरण किया गया
डॉ अरोड़ा के मुताबिक सिक्किम सरकार ने 2016 में GAVI नाम के वैक्सीन खरीदे और 9 से 14 साल की उम्र वाली लड़कियों को वैक्सीन दिए गए. आंकड़े बताते हैं कि सिक्किम सरकार के डेटा के मुताबिक इस कार्यक्रम के अंदर 97% लड़कियों का टीकाकरण किया गया. अब वे इसे नियमित टीकाकरण के हिस्से के रूप में प्रदान करते हैं और कवरेज लगभग 88-90% है.
9-14 साल की उम्र वाली लड़कियों को वैक्सीन दिए जाएंगे
डॉ अरोड़ा के मुताबिक इस मामले में हमें सिक्किम से सीखना चाहिए. वहां पर 9-14 साल की उम्र वाली लड़कियों को वैक्सीन लगाए गए. ठीक उसी तरह इस अभियान अंतर्गत सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए हमें टीका लगाया जाना चाहिए, इसके बाद नौ साल के बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण के हिस्से के रूप में टीके को शामिल किया जाना चाहिए. वहीं दिल्ली सरकार ने भी लगभग सिक्किम की तरह अपने राज्य में यह कार्यक्रम शुरू किए थे. दिल्ली में एचपीवी टीकाकरण कार्यक्रम इसलिए सफल नहीं हो पाया क्योंकि राज्य सरकार के सरकारी हॉस्पिटल में से केवल एक में ही टीके उपलब्ध थे.
जो लड़कियां स्कूल नहीं जाती हैं उनके घर पर जाकर टीका दिया जाएगा
डॉ. अरोड़ा आगे कहती हैं कि हमे सभी स्कूल जाने वाले बच्चियों को यह टीका लगाना चाहिए. लेकिन हम उन बच्चों को भी उनके घर पहुंचकर यह टीका लगवाना चाहिए. जो स्कूल नहीं जाती हैं. वहीं दूसरी तरफ हमें कोविड-19 टीकाकरण अभियान से सीखना चाहिए. ऐसी कोई अभियान चलाने से पहले रोलआउट होने से पहले हमें एक सफल रणनीति की आवश्यकता होती है. शुरुआती दो से तीन महीनों के दौरान धक्का-मुक्की हुई, लेकिन हमने प्रभावी संचार के साथ झिझक को कम होते देखा.
30 साल की उम्र वाली महिलाओं को रेगुलर स्क्रीनिंग करवाना चाहिए
डॉ अरोड़ा के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए हम कुछ बातों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए. सबसे पहले 30 साल की अधिक उम्र की महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग करवाने पर जोर दिया जाना चाहिए. 30 साल से अधिक उम्र की महिलाएं हर तीन से पांच साल में सर्वाइकल डिजीज चेकअप के लिए जाती हैं, तो किसी भी कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकता है.
रेगुलर स्क्रीनिंग से कैंसर का पता जल्दी चल सकता है
शुरुआत में ही कैंसर का पता चल जाता है तो सर्वाइकल कैंसर का इलाज पीएचसी स्तर पर भी किया जा सकता है. कैंसर का इलाज लंबा और महंगा इसलिए होता है क्योंकि पता लगाने में देरी होती है. यदि कैंसर का संदेह होता है, तो डॉक्टर तत्काल डीएनए परीक्षण कर सकते हैं, और कैंसर के ऊतक को सावधानी बरत सकते हैं. SII को इस साल जुलाई में देश के शीर्ष ड्रग रेगुलेटर से मंजूरी मिली थी, इसके 13 केंद्रों में किए गए इसके इम्यूनोजेनेसिटी परीक्षण के डेटा पेश करने के बाद, जहां वैक्सीन की प्रतिक्रिया की तुलना मर्क के गार्डासिल क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन से की गई थी.
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