सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए इस उम्र में वैक्सीन लेना होता है ज्यादा असरदार, जानें एक्सपर्ट की राय...
पूरी दुनिया में महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है सर्वाइकल कैंसर. इस एक हद तक कंट्रोल करने के लिए एचपीवी वैक्सीन आ चुकी है. लेकिन सवाल यह है कि किस उम्र में इसे लेना चाहिए.?
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पूरी दुनिया में महिलाओं को होने वाला दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है सर्वाइकल कैंसर. ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर की चपेट में महिलाएं सबसे ज्यादा आती है. सर्वाइकल कैंसर महिलाओं की ओवरी में होने वाला कैंसर है. इस आम बोलचाल की भाषा में बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है. डॉक्टर्स के मुताबिक कमजोर इम्युनिटी, मल्टीपल पार्टनर, जेनिटल हाइजीन की कमी और कम उम्र में जिन महिलाओं को बच्चे हो जाते हैं उन्हें भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है. स्मोकिंग और एल्कोहल ज्यादा पीने के कारण भी कैंसर का खतरा बढ़ता है. इस कैंसर से बचाव के लिए एचपीवी वैक्सीन आ चुकी है. भारत में सर्वाइकल कैंसर के मरीज दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं. अगर शुरुआत में ही इस बीमारी का पता चल जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है.
किस उम्र में एचपीवी की वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए
सर्वाइकल कैंसर से बचना है तो समय-समय पर इसे जुड़े टेस्ट करवाते रहना चाहिए. अगर 9 साल से कम उम्र की लड़की को ब्लड आना या बदबू आने जैसी समस्या है तो तुरंत गायनेकोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए. अगर किसी महिला को पीरियड्स में किसी भी तरह की दिक्कत आ रही है तब भी उन्हें तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए. यह जेनाइटल इंफेक्शन के कारण भी हो सकते हैं. जिनका इलाज समय पर नहीं करवाने से कैंसर भी हो सकता है. लड़कियों या महिलाओं को 9-45 साल के बीच में एचपीवी की वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए.
महिलाओं के यह टेस्ट जरूर करवाने चाहिए
ज्यादा शराब पीने और बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से भी महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ता है. हर तीन साल में पैप टेस्ट करवाते रहना चाहिए. इससे सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद मिलती है. सर्वाइकल कैंसर की जानकारी के लिए एक आम टेस्ट है स्क्रीनिंग टेस्ट पैप स्मीयर. 21 साल से अधिक उम्र वाली हर महिला या लड़की यह टेस्ट करवा सकती है. 30 साल से अधिक उम्र वाली महिलाओं को पैप डुओ टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है. इसमें पैप्स स्मीयर और एचपीवी डीएनए टेस्ट दोनों शामिल हैं. सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए हर तीन साल पर पैप स्मीयर स्क्रीनिंग बेहद जरूरी है. इसे लेकर जागरूकता भी फैलाई जा रही है.
वैक्सीन को लेकर एक बात कही गई है कि यह कोई भी लड़की या महिला 9 से 45 के बीच में ले सकती हैं. लेकिन इस एक परफेक्ट समय 11 से 12 साल बेहतर माना गया है. क्वाड्रिवेलेंट वैक्सीन के रूप में उपलब्ध है जो 4 स्ट्रेन से सुरक्षा देती है.एक नॉनएवेलेंट वैक्सीन के रूप में उपलब्ध है जिससे 9 स्ट्रेन से सुरक्षा मिलती है. 15 साल से कम उम्र वाली लड़कियों को 6 महीने के गैप पर 2 खुराक की जरूरत पड़ती है. 15 साल के बाद 3 खुराक की जरूरत पड़ती है.
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