देर तक सोता है बच्चा तो डांटने से पहले जान लें इसके साइड इफेक्ट्स, नींद से उठाने के हो सकते हैं खतरनाक परिणाम
बच्चों के ब्रेन के विकास के लिए नींद बेहद जरूरी है. इससे वे कई तरह की समस्याओं से बच सकते हैं. अगर नींद की क्वालिटी खराब होती है तो उनमें सीखने की क्षमता कमजोर हो सकती है.
Brain and Sleep : अक्सर घर में जब छोटे बच्चे सोते हैं तो उन्हें डांट दिया जाता है. ज्यादातर पैरेंट्स का लगता है कि उनका बच्चा काम या स्कूल जाने से बचने के लिए नींद में आलस कर रहा है. कुछ बच्चों में ऐसा हो भी सकता है लेकिन बच्चों को पूरी नींद करने से रोकना नहीं चाहिए. ये उनके ब्रेन के ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है. माता-पिता के लिए यह याद रखना चाहिए कि युवा मस्तिष्क के लिए नींद बहुत ज़रूरी है.
ऐसे में बच्चों में नींद पूरी करने के लिए कहना चाहिए. प्रोसीडिंग्स ऑफ़ द नेशनल एकेडमी ऑफ़ साइंसेज में पब्लिश एक स्टडी से पता चला है कि छोटे बच्चों की नींद में अगर रुकावट आती है तो इसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं.
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दिमाग के लिए अच्छी नींद जरूरी
नींद की खराब क्वालिटी दिमाग के लिए हानिकारक है. नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ग्राहम डियरिंग की अगुआई में हुई स्टडी में पाया गया कि लर्निंग और मेमोरी के लिए जरूरी नर्व सिस्टम्स की ग्रोथ के लिए नींद बेहद अहम रोल निभाती है. हालांकि, बच्चों और युवाओं में इसका योगदान अलग-अलग होता है.
बच्चों और युवाओं में नींद का असर
स्टडी के अनुसार, एडल्ट्स के लिए नींद मुख्य तौर पर रखरखाव और मरम्मत से जुड़ी होती है, लेकिन बच्चों के लिए नींद उनकी ग्रोथ के लिए बेहद जरूरी है. यह ब्रेन के ग्रोथ और सिनैप्टिक कनेक्शन को मजबूत करने के लिए आवश्यक है. रिसर्चर ने चूहों की जांच की और पाया कि खराब नींद की गुणवत्ता वयस्कों की तुलना में युवा चूहों के मस्तिष्क पर ज्यादा असर डालती है. उन्होंने पाया कि युवा मस्तिष्क वयस्कों की तरह नींद की कमी को पूरा नहीं कर पाते हैं.
इससे पता चलता है कि बच्चों में खराब नींद की क्वालिटी या नींद की कमी उनके दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है, जिसका असर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है. ऐसे में पैरेंट्स बच्चों के बिस्तर पर जाने से लेकर सोने और उठने के लिए अच्छी आदत डेवलप करने में मदद करें.
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न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर से नींद का कनेक्शन
स्टडी में बच्चों में नींद की गड़बड़ी और न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर के बीच कनेक्शन पाया गया. जब शोधकर्ताओं ने चूहों की जांच की तो पाया कि नींद की कमी से मस्तिष्क में कास प्रोटीन प्रभावित होते हैं, जो सीखने और याददाश्त के लिए जरूरी हैं. ये वही प्रोटीन हैं, जो ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के लिए जेनेटिक रिस्क फैक्टर्स से भी जुड़े हैं. अगर किसी बच्चे में ऑटिज्म के लिए जेनेटेकि प्रॉब्लम्स है तो नींद की कमी उसे और भी ज्यादा ट्रिगर करेगी, जिससे उनका जोखिम बढ़ जाएगा. इसलिए पैरेंट्स को समझ लेना चाहिए कि बच्चों के लिए नींद कितना जरूरी है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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