Covid: कोरोना ने देश में जमकर कहर बरपाया. हर घर में लोग इस वायरस की चपेट में आए. 2 साल तक लोगों के मुंह से मास्क नहीं हटा. मिलने जुलने में भी लोग कतराने लगे. देश में डेल्टा वैरीअंट सबसे ज्यादा भयानक रहा. इस वायरस ने देश में हजारों लोगों की जान ले ली. आज भी काफी संख्या में बुजुर्ग और व्यस्क इस वायरस की मार से कराह रहे हैं. उनकी फेफड़ों की क्षमता तक घट गई है. लोगों की सीढ़ी चढ़ने में सांस फूलने लगती है. तेज कदमों से ही चलने लगे तब भी सांस साथ नहीं देती. लेकिन अभी तक जो सामने आया, उसमें यही बताया गया कि बुजुर्ग, जवान सब वायरस की चपेट में आए लेकिन बच्चों को वायरस ने नहीं छुआ.
अब डॉक्टर के यहां बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। उन्हें बार बार खांसी होना, सांस फूलना और अन्य फेंफडों संबंधित प्रॉब्लम हो रही हैं. एक स्टडी में भी सामने आया है कि कोविड में काफी लोग एसिंप्टोमेटिक रहे यानि वायरस बॉडी में था, लेकिन उसके लक्षण नहीं दिखे. हो सकता है कि इस वायरस ने बच्चों को चपेट में लेकर उनकी फेफड़ों की क्षमता कर दी हो. स्टडी में तो फेफड़ों की स्ट्रक्चर तक में बदलाव देखा गया. अब यदि घर पर बच्चे को बार बार खांसी हो रही है. सांस लेने संबंधी परेशानी है तो अलर्ट होने की जरूरत है. कहीं आपका लाडला इस वायरस की चपेट में तो नहीं आया
स्टडी में यह सच आया सामने
बच्चों पर कोरोना इफेक्ट को लेकर एक ऑनलाइन स्टडी की गई. यह स्टडी 20 सितंबर 2022 में हुई. इसे रेडियोलॉजी, ए जनरल ऑफ दर् रेडियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमेरिका में पब्लिश हुई. रिपोर्ट में सामने आया कि लंबे समय तक वायरस के रहने के कारण संभावना अधिक यही रही कि बच्चे ओमिक्रोन और डेल्टा वायरस की चपेट में आ गए होंगे. इन्हें अधिक या कम नुकसान हुआ होगा पर ऐसी भी संभावना जताई गई कि इससे बच्चों का फेफड़े डैमेज हुए या फिर उनके फेफड़ों में कम काम करना शुरू कर दिया है.
फेफड़ों की भी हुई जांच
रिसर्च करने वालों ने छोटे बच्चे और 11 साल तक के बच्चों पर रिसर्च की. इनमें 54 बच्चों को शामिल किया गया. सभी पर लो फील्ड MRI से बच्चों के फेफड़ों की जांच की गई. जांच में सामने आया 29 बच्चे पूरी तरह से रिकवर हो चुके थे, जबकि 25 बच्चे लॉन्ग कोविड के शिकार थे. इनमें से काफी बच्चों में कम और अधिक कोरोना के लक्षण देखने को मिले.
बच्चों को खांसी जुकाम अधिक हो रहा
सर्दी आने वाली है. ऐसे में बच्चों में खांसी जुकाम और बुखार के मामले तेजी से बढ़ गए हैं. डॉ पंकज ने बताया कि कोरोना से पहले बच्चों में बहुत कम मामले खांसी, जुकाम, बुखार के आते थे. दवा देने पर कुछ ही दिन में ठीक हो जाते थे, लेकिन इस बार बच्चों में जो लक्षण है. वह थोड़े गंभीर नेचर के हैं. सामान्य दवाओं से बच्चे खांसी, जुखाम से ठीक नहीं हो पा रहे हैं. संभावना है कि यह बच्चे को रोना की चपेट में आए हो.
अब आगे क्या करें?
कोरोना ने घातक अटैक फेफड़ों पर किया. इससे फेफड़ों की काम करने की क्षमता बहुत तेजी से कम हो गई. इसी वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई. बच्चे भी इस समय खांसी जुकाम से पीड़ित है. डॉक्टरों का कहना है कि यदि बच्चे को बार बार खांसी हो रही है या जुखाम हो रहा है या फिर सांस लेने में दिक्कत आ रही है तो तुरंत ही पीडियाट्रिक के पास जाना चाहिए. कोशिश करें कि बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत किया जाए. उसे डॉक्टर से सलाह लेकर ऐसी दवाई दें ताकि बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत हो. बच्चे को न्यूमोकोकल से जुड़ी वैक्सीन दी जा सकती है. डॉक्टर की सलाह के बगैर बच्चे का इलाज अपने स्तर से ना करें.
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