शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रेगनेंसी में और डिलीवरी के ठीक बाद डिप्रेशन का संबंध बच्चे से जुड़ता है. ये खुलासा यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टॉल की रिसर्च में हुआ है. रिसर्च के मुताबिक तनावग्रस्त मां से जन्मे बच्चों में 24 की उम्र तक डिप्रेशन के लक्षण विकसित होने की ज्यादा संभावना है. हालांकि, इस विषय पर आगे रिसर्च करने की वकालत की गई है. शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि नए नतीजे प्रगेनेंट महिलाओं में डिप्रेशन का इलाज और पहचान करने की फौरन जरूरत का समर्थन करते हैं, और ये न सिर्फ उनके लिए है बल्कि संभावित रूप से उनके बच्चों के लिए भी है.


प्रेगनेंसी में या डिलीवरी के ठीक बाद मां का डिप्रेशन नुकसानदेह


रिसर्च के दौरान ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने 1990 की शुरुआती दहाई में मां के डेटा की समीक्षा की. उन्होंने 5 हजार महिलाओं पर फोकस कर उनकी प्रेगनेंसी और डिलीवरी के बाद डिप्रेशन के लक्षणों का मूल्यांकन किया. 14 वर्ष के दौरान उन्होंने 10 की उम्र से लेकर 24 की उम्र तक जांचा कि बचपन और किशोरावस्थ में डिप्रेशन होने का कितना जोखिम है. उन्होंने पाया कि तनावग्रस्त महिलाओं के बच्चों में न सिर्फ खुद डिप्रेशन के ज्यादा लक्षण थे बल्कि उनमें लक्षण तेजी से बढ़ा. शोधकर्ता डॉक्टर रेबेका पियर्सन ने बताया कि मां के बच्चों का डिप्रेशन स्कोर समय के साथ अधिक दर से बढ़ा, दूसरे शब्दों में उनका स्कोर गैर तनावग्रस्त मां के बच्चों के मुकाबले हर साल अधिक अंक से ऊपर चला गया.


24 साल की उम्र तक बच्चों में लक्षण विकसित होने का खुलासा


डेटा से पिता और बच्चे में डिप्रेशन के बीच संभावित संबंध का भी खुलासा हुआ, हालांकि रिसर्च पूरी तरह उस संबंध का आंकलन करने के लिए नहीं किया गया था. डॉक्टर जोएन ब्लैक ने बताया कि नतीजा मां और पिता दोनों में उनके बच्चों के डिप्रेशन का जोखिम दिखाता है. उससे माता-पिता में (प्रेगनेंसी, जन्म के बाद या दोनों) डिप्रेशन के समय का भी पता चलता है कि अगर मां, पिता या दोनों प्रभावित होते हैं तो ये बच्चे के भविष्य में दिमागी सेहत का महत्वपूर्ण जोखिम फैक्टर है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पिता पर रिसर्च का सैंपल आकार छोटा था क्योंकि उनके मानसिक सेहत की पाबंदी से स्क्रीनिंग नहीं की गई थी, लेकिन भविष्य में बच्चे  के बीच होनेवाले मानिसक स्वास्थ्य पर प्रभाव का पता चला, हालांकि समझने के लिए और रिसर्च की जरूरत है कि पिता के लिए क्या बेहतर समर्थन हो सकता है.


Colorectal Cancer: भारत के युवाओं में क्यों बढ़ रहा है ये खतरनाक रोग? जानिए दुर्लभ लक्षण


क्या दिमाग को अपग्रेड किया जा सकता है? जानिए विज्ञान की मदद से इसे धार देने के तरीके