नई दिल्लीः यदि आपके बच्चे को पढ़ने में कठिनाई हो रही है, तो उनकी हियरिंग स्क्रीनिंग करवाएं क्योंकि हाल ही में एक अध्ययन में पाया गया है कि 25 प्रतिशत बच्चों को पढ़ते हुए कठिनाइयों होने पर सुनाई देने की कमजोरी का सामना करना पड़ा है.


क्या कहते हैं शोधकर्ता-
यूके में कोवेन्ट्रीय यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, यदि बच्चों को सुनाई देने की समस्या से गुजरना पड़ता है तो उन्हें जागरूक होने की आवश्यकता है. साथ ही पेरेंट्स को बच्चो के पढ़ने और लेखन कौशल में सुधार के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है.


क्यों की गई रिसर्च-
इस अध्ययन में डिस्लेक्सिया के बच्चों की तुलना उन बच्चों से की गई जिन्हें कानों में बार-बार इन्फेक्शन होता था या होने का इतिहास रहा था. रिसर्च में यह देखा गया कि जिन युवाओं को कान में इंफेक्शन की दिक्क्त हो रही है उन्हें पढ़ने में  कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था या नहीं.


किन पर की गई रिसर्च-
ये रिसर्च 195 बच्चों पर की गई जिसमें से 8 से 10 साल की उम्र के बच्चों को शामिल किया गया. इसमें से 36 बच्चों  को डिसलेक्सिया की समस्या थी और 29 बच्चों को बार-बार कान में इंफेक्श्न की समस्या‍ थी.


कैसे की गई रिसर्च-
इस सीरिज में बच्चों के टेस्ट किए गए और उनके लेखन और पढ़ाई के कौशल को जांचा गया. साथ ही ये भी देखा गया कि बच्चे किसी शब्द और उसके साउंड का क्या अर्थ लेते हैं. उसको कैसे बोलते हैं और उसके बारे में क्या जानते हैं.


18 महीने बाद तक बच्चों का परीक्षण किया गया. साथ ही बच्चों की हियरिंग स्क्रीनिंग भी की गई.


रिसर्च के नतीजे-
रिसर्च के नतीजों में पाया गया कि डिस्लेक्सिया वाले बच्चों के पेरेंट्स ने हियरिंग टेस्ट से पहले किसी भी तरह की कान संबंधी प्रॉब्लम होने को अस्वीकारा. लेकिन इन बच्चों का जब हियरिंग टेस्ट किया गया तो पाया गया कि डिस्लेक्सिया पीडित 36 बच्चों में से 9 बच्चों को सुनने में दिक्कत थी.


रिसर्च में ये भी पाया गया कि जिन बच्चों को बार-बार कान का इंफेक्शन होता है उन्हें पढ़ने-लि‍खने में दिक्कत होती है. शोधकर्ताओं ने ये भी कहा कि बार-बार कान का इंफेक्शन होने से पढ़ने के अलावा बच्चे को और भी क्षेत्रों में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.


रिसर्च में ये भी पाया गया कि जब बच्चे को पढ़ने-लि‍खने में दिक्कत है तो उनका हियरिंग टेस्ट जरूर करवाएं क्योंकि कान संबंधी समस्याओं को डिटेक्ट करना बहुत मुश्किल होता है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
कोवेन्ट्रीय विश्वविद्यालय के हेलेन ब्रेडमोर ने कहा कि स्कूल में कई बच्चों को हल्का सुनई देने की समस्या होती है जो उन्हें  पढ़ने में परेशानी खड़ी कर सकता है. शोधकर्ता कहते हैं कि जिन बच्चों को बार-बार कान संक्रमण और सुनाई देने संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन्हें अलग-अलग भाषणों को अलग-अलग उतार-चढ़ाव में सुनना चाहिए. इससे उन्हें पढ़ने में आसानी होगी.


नोट: ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.