पुरुषों के बीच कोलोरेक्टल कैंसर दुनिया भर में तेजी से फैल रही कैंसर की तीसरी किस्म है. कोलोन कैंसर या कोलोरेक्टल कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं, ये इस बात निर्भर होता है कि कैंसर की कोशिकाएं कहां मौजूद हैं. आम तौर से ये बड़ी आंत या रैक्टम को प्रभावित करता है.
कोलोरेक्टल कैंसर जागरुकता का महीना मार्च में मनाया जाता है. इस मौके पर पुरुषों और महिलाओं को सचेत किया जाता है कि ये कैंसर दोनों को हो सकता है और शुरुआती चरणों में लक्षणों को पहचानना अक्सर मुश्किल होता है. इसलिए सभी के ज्यादा जरूरी हो जाता है कि रोकथाम, नियंत्रण और इलाज के उपायों की जानकारी हासिल करें.
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण: ज्यादातर लोग शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज करने की गलती करते हैं. ऐेसे में समस्या बढ़ जाने पर इलाज काफी मुश्किल हो जाता है. कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षणों में डायरिया, कब्ज, मल के रंग में बदलाव, मल में ब्लड, रैक्टम से खून का स्राव, अत्यधिक गैस, पेट में ऐंठन और पेट दर्द कुछ संकेत हो सकते हैं.
इलाज का विकल्प मौजूद: वर्तमान में बीमारी के लक्षण का पता लगाने का नया तरीका और इलाज के विकल्प मुहैया हैं. इलाज अब मरीज के स्वास्थ्य और तेज रिकवरी पर केंद्रित है. उसमें विभिन्न दृष्टिकोण जैसे सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी शामिल हैं. लेकिन इसका इलाज कैंसर की जगह, उसका चरण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं समेत खास स्थिति पर निर्भर है.
स्क्रीनिंग कराएं: कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका नियमित स्क्रीनिंग है, जो 45 साल की उम्र में शुरू होती है. ये बड़ी आंत या रैक्टम में असमान्य विकास के तौर पर शुरू होता है. स्क्रीनिंग की मदद से कैंसर के ट्यूमर का पता शुरुआती चरण में लगाया जा सकता है. इस तरह, स्थिति का बेहतर प्रबंध किया जा सकता है.
जीवनशैली में बदलाव: बीमारी के खतरे को जीवनशैली में बदलाव लाकर भी कम किया जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि स्मोकिंग से पूरी तरह दूरी बनाने का प्रयास किया जाए. अल्कहोल का ज्यादा इस्तेमाल भी कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है. डॉक्टरों की सलाह है कि अल्कोहल सिर्फ संतुलित मात्रा में पीना चाहिए. इसके अलावा, सेहतमंद डाइट जिसमें फल, सब्जी और साबुत अनाज का खाएं. लाल और प्रोसेस्ड मांस का अधिक सेवन कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ानेवाला माना गया है.
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